पूर्व सीएम बोले- 80 साल में वीर कुंवर सिंह ने तलवार उठाई थी, मैं तो 73 का ही हूं, तख्ता पलट सकता हूं
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली है। मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार ने उन्हें नाम का मुख्यमंत्री बनाया था। गया शहर के गाँधी मैदान मे हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि उन्होंने उन्हें दिखावे के लिए सीएम बनाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद नैतिकता के आधार पर नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था लेकिन उसमें उनकी कूटनीति थी। वह सिर्फ नाम के मुख्यमंत्री थे। सारा कार्य नीतीश कुमार करते थे। सिर्फ उनको दिखावे के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था। लेकिन जब हम लोगों के सामने काम करने लगे तो उन्हें पद से हटा दिया।
मांझी ने कहा, ‘‘जब बाबू वीर कुंवर सिंह ने 80 वर्ष की उम्र में तलवार उठा ली थी तब मेरी उम्र तो अभी 73 वर्ष की ही है। अब हम भी तलवार उठा लेंगे। सरकार सतर्क हो जाये। सिर्फ किसान-मजदूर की भलाई की बात करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि किसानों और मजदूरों को उनका हक देना होगा।’’ उन्होंने कहा कि आगामी 8 अप्रैल को पटना मे लाखों की भीड़ रहेगी तो हम तख्ता पलट देंगे।
मांझी ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा कि आने वाले समय में आप अपनी चट्टानी एकता का परिचय दें तभी ये सरकार हमारी बात सुनेगी। बता दें कि बिहार विधान सभा में हम के एकमात्र विधायक के रूप में जीतन राम मांझी ही हैं। फिलहाल हम भी एनडीए में शामिल है। माना जाता है कि बिहार में बदलते सियासी समीकरण में जीतनराम मांझी ना सिर्फ सीएम नीतीश कुमार के पुराने रवैये से नाराज हैं बल्कि एनडीए सरकार में उनके बेटे को मंत्री नहीं बनाए जाने से भी वो नाराज हैं।
पिछले साल जब महागठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार ने एनडीए की सरकार बनाई थी तब कहा जा रहा था कि मंत्रिमंडल में एक सीट हम को दी जाएगी। तब हम की तरफ से मांझी के बेटे संतोष कुमार का नाम प्रस्तावित किया गया था लेकिन संतोष के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होने की वजह से मंत्री नहीं बनाए जा सके। मांझी का यह आरोप रहा है कि लोजपा कोटे से मंत्री बने पशुपति नाथ पारस जो रामविलास पासवान के भाई हैं, वो भी किसी सदन के सदस्य नहीं थे. बावजूद इसके उन्हें मंत्री बनाया गया तो उनके बेटे को क्यों नहीं। चर्चा तो इस बात की भी है कि मांझी की निकटता राजद कुनबे से बढ़ रही है।