पेट्रोल-डीजल की आसमान छूतीं कीमतें: उद्योग जगत ने ईंधन पर उत्पाद शुल्क हटाने की मांग की
भारतीय उद्योग जगत ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर चिंता जताते हुए सरकार से ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की मांग की है। उनका कहना है कि इससे भारत की आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी। उद्योग मंडल फिक्की और एसोचैम ने भी ईंधन की बढ़ती कीमतों के दीर्घकालिक समाधान के लिए पेट्रोल – डीजल को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली के तहत लाने के लिए कहा है। साथ ही कहा कि रुपये की कमजोरी से देश का ईंधन आयात पर खर्च भी बढ़ने की संभावना है जो अंतत : मुद्रास्फीति को प्रभावित करेगा।
फिक्की के अध्यक्ष राशेष शाह ने कहा , ‘‘ कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें एक बार फिर तेजी के रुख पर हैं। साथ ही ऊंची मुद्रास्फीति से वृहद – आर्थिक जोखिम , ऊंचा व्यापार घाटा और रुपये के मूल्य में गिरावट के चलते भुगतान संतुलन पर दबाव का भी असर होगा। ’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा रुपये में कमजोरी से देश का आयात बिल भी बढ़ेगा। इसके अलावा मौद्रिक नीति के सख्त बने रहने का भी जोखिम है जो निजी निवेशक को प्रभावित करेगा।
शाह ने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आ रही है और ऐसे में तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए फिर गंभीर जोखिम पैदा कर सकती हैं। केंद्र सरकार को राज्य सरकारों से पेट्रोल – डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए कहना चाहिए। और तत्काल तौर पर वह इस पर उत्पाद शुल्क घटा सकती है। एसोचैम के महासचिव डी . एस . रावत ने कहा कि जहां उत्पाद शुल्क में कटौती से पेट्रोल – डीजल की बढ़ती कीमतों से तात्कालिक राहत मिलेगी , वहीं इसका दीर्घकालिक और सतत समाधान इसे जीएसटी के दायरे में लाना है।