पेन ड्राइव के जमाने में बिक रहे गोलीकांड के कैसेट

त्रियुग नारायण तिवारी

पच्चीस साल में अयोध्या में काफी कुछ बदल चुका है और काफी कुछ बदल रहा है। कारोबार की शक्ल बदल चुकी है। इलाके के विकास की योजना बन रही है। फिर भी छह दिसंबर की घटना कहीं गहरे से दिल में पैठी हुई है। पेन ड्राइव के जमाने में उस घटना को ताजा करते हुए कैसेट बिक रहे हैं। दर्शनार्थियों का दक्षिण भारत से आना बढ़ गया है और सबसे बढ़कर अब ऐसा सामान भी अयोध्यावासियों की पहुंच में जिसके लिए उन्हें फैजाबाद जाना पड़ता था।

विवादित परिसर के प्रथम चेक पोस्ट के पास स्थित रामलला मोबाइल सेंटर के मालिक घनश्याम का कहना है कि अब वे प्रसाद और प्यूरीफाई पानी बेचने का काम करते हैं उनका कहना है कि रामलला की कृपा से केंद्र और प्रदेश में मोदी और योगी की सरकारें हैं। अब राम मंदिर नहीं बनेगा तो कब बनेगा। उनका कहना है कि सुरक्षा व्यवस्था के चलते अयोध्या में दुकानदारों को काफी परेशानी है।

राम जन्म भूमि दर्शन के उपरांत निकास द्वार के पास किताब कॉपी धार्मिक पुस्तकों की दुकान चलाने वाले जगन्नाथ का कहना है कि अयोध्या में अब दक्षिण भारत से श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है इसलिए हम लोग अब तेलुगू, तमिल तथा बंगाली में भी रामचरितमानस की पुस्तक बिक्री के लिए रखते हैं। उन्हीं के बगल में दुकान चला रहे रामजी का कहना है कि अभी भी कार सेवा के दौरान हुए गोलीकांड का कैसेट लोग श्रद्धा से खरीदते हैं। उनकी दुकान लगे उस चित्र को आस्था में डूबे श्रद्धालु हाथ जोड़कर देखते हैं जिसमें तीनों गुंबदों पर कार सेवक चढ़े हुए हैं और फायरिंग के दृश्य हैं। इन श्रद्धालुओं में दर्शन कर लौटते हुए ज्यादातर गुंटूर आंध्र प्रदेश के थे।

इसी तरह, पत्थर तराशने की कार्यशाला में भी आंध्र प्रदेश से आए एक सैनिक परिवार से मुलाकात हुई। सत्यनारायण नामक सैनिक परिवार का कहना है कि दक्षिण भारत में अयोध्या के प्रति रुझान बढ़ा है। इसलिए अब अयोध्या आना जाना बढ़ गया है। सरकार ने रामेश्वरम से अयोध्या तक सीधी रेल सेवा प्रदान की है जिससे भी श्रद्धालु वहां से काफी संख्या में आ रहे हैं।
ट्रांसपोर्ट कारोबारी दिनेश पांडे का कहना है कि अब बड़ी संख्या में पर्यटक बस में अयोध्या आ रहे हैं। दक्षिण भारत के पहले बनारस आते हैं। फिर बसों से अयोध्या में दर्शन-पूजन कर लौटते हैं। 106 साल के बीपी मिश्रा कहते हैं कि अब अयोध्या मैं लोग बसना चाहते हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि अयोध्या का विकास धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होगा जिसकी शुरुआत हो चुकी है। इस विवाद के एक पक्षकार निर्मोही अखाड़ा के महंत जिनेंद्र दास का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में वे पक्षकार हो चुके हैं और जो हमारे गुरु भास्कर दासजी का पक्ष है, वही हमारा पक्ष है। महंत धर्मदास का कहना है कि अब यह बहुत हो चुका है। इस मामले का अयोध्या के हित में तत्काल निराकरण होना चाहीए।

मुस्लिम पक्ष के अयोध्या के मूल निवासी हाशिम अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी का कहना है कि वह मुकदमे की पैरवी में दिल्ली जा रहे हैं और उनका मानना है कि इसमें अब कोई सुलह-समझौते की गुंजाइश नहीं है। कोर्ट का फैसला ही मान्य है। सुप्रीम कोर्ट जो फैसला करेगा उसे हम मानेंगे। उनका कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर जरूर बनना चाहिए, परंतु मस्जिद भी बननी चाहिए। वैसे अयोध्या में तो 36 मस्जिदें हैं और कुछ तो मंदिरों के ठीक बगल में हैं। दूसरे मूलनिवासी पक्षकार हाजी महबूब का कहना है कि कोर्ट के बाहर कोई सुलह-समझौता मंजूर नहीं है। मुस्लिम पक्ष का केस मजबूत है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हम सम्मान करते हैं और करेंगे। उन्हें राम मंदिर बनाए जाने से कोई एतराज नहीं है।

इंजीनियर वशिष्ठ मिश्रा का कहना है कि 6 दिसंबर 92 से और आज की अयोध्या में काफी अंतर आ गया है। अयोध्या में रेलवे पुल बना। फोरलेन पुल बना। बाईपास बना। भूमिगत विद्युतीकरण हुआ। 14 कोसी पंचकोसी परिक्रमा मार्ग सुंदर बनाया गया। दीवानी के वकील अभय श्रीवास्तव का कहना है कि मामले का निस्तारण जल्द किया जाना चाहिए तभी अयोध्या का चौमुखी विकास हो सकेगा।

अयोध्या में अब हर सामान मिलने लगा है। 25 साल पहले शृंगार प्रसाधन की सामग्री फैजाबाद से खरीदनी पड़ती थी।अयोध्या के मठ मंदिरों में भी काफी चमक दमक बढ़ी है।
हरिद्वार की तर्ज पर आधुनिक कक्ष मंदिरों में बन रहे हैं और साधु संत हाईटेक हो गए हैं। इसी तरह लग्जरी वाहनों में साधु-संत दिखते हैं अयोध्या के मंदिरों में यात्रियों के लिए ठहरने के अब आधुनिक इंतजाम हो चुके हैं। अयोध्या बदल रही है पर वहां के नागरिक कृष्ण कुमार का कहना है कि जो विकास अयोध्या में होना चाहिए वह अभी नहीं हो सका है। विकास के लिए आवश्यक है कि विवाद का तत्काल हल निकले।

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