पैसे निकालने के लिए 3 दिन से बैंक आ रही थी बीमार महिला, चौथे दिन बैंक के सामने ही तोड़ दिया दम

बिहार में गुरुवार को बैंक के बाहर एक बीमार महिला ने दम तोड़ दिया। महिला अपने खाते से पैसे निकालने के लिए लगातार चार दिन से बैंक के चक्कर लगा रही थी। लेकिन बैंक ने नकदी का संकट होने के हवाला देकर महिला को पैसे देने से इंकार ​कर दिया। गुरुवार को पैसे लेने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हुए ही उसने दुनिया को अलविदा कह दिया। इस घटना से इलाके में बैंककर्मियों के अमानवीय रवैये पर आक्रोश है। मामला बिहार के पूर्णिया जिले के रूपौली प्रखण्ड का है। रूपौली की रहने वाली नूरजहां खातून का खाता सेन्ट्रल बैंक आॅफ इण्डिया की रूपौली शाखा में था। नूरजहां खातून की बहू बीबी रोशन ने बताया कि उसकी सास की तबियत पिछले कई दिनों से खराब थी। इलाके के डॉक्टरों के इलाज से वह ठीक नहीं हुई। नूरजहां के बेटे लाल मोहम्मद ने उसे बड़े डॉक्टर के पास पूर्णिया ले जाने का फैसला किया। अपने खाते से पैसे निकालने के​ लिए सोमवार को नूरजहां बैंक गई थी। लेकिन बैंककर्मियों ने पूरे दिन लाइन में लगवाने के बाद बैंक में पैसे न होने की बात कहकर उसे खाली हाथ लौटा दिया।

इसके बाद नूरजहां ने अपने खाते से पैसे निकालने के लिए मंगलवार और फिर बुधवार को भी बैंक के बाहर इंतजार किया। तीन दिनों के इंतजार के बाद कैशियर कृष्ण मुरारी सिन्हा ने कुल पांच हजार रुपये लाल मोहम्मद को दिए। जबकि मांग 17 हजार रुपये के लिए की गई थी। इस पर लाल मोहम्मद ने पैसे लेने से इंकार कर दिया। गुरुवार को भी नूरजहां खातून बैंक के बाहर आॅटो में बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रही थी। बैंककर्मियों के इंकार की बात सुनते ही नूरजहां की हालत बिगड़ने लगी और बैंक के बाहर ही उसने दम तोड़ दिया।

घटना के बाबत सेन्ट्रल बैंक आॅफ इण्डिया के सहायक शाखा प्रबंधक सुधांशु शेखर साहा ने कहा कि नए वित्तीय वर्ष की शुरूआत से ही बैंक में नोटों की आपूर्ति कम हो रही है। अभी तक किसी तरह स्थानीय खाताधारकों की जमाराशि से ही लेन—देन किया जा रहा है। नकदी संकट के कारण किसी भी ग्राहक को बड़ी संख्या में कैश भुगतान करना फिलहाल संभव नहीं है।

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