प्रणब मुखर्जी ने तोड़वा दी आरएसएस की एक परंपरा, मोहन भागवत को नहीं मिला जवाबी मौका
कांग्रेस पार्टी और यहां तक कि अपने परिवार के विरोध के बावजूद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर में हुए ‘संघ शिक्षा वर्ग’ कार्यक्रम में शिरकत की। प्रणब मुखर्जी ने संघ के कार्यक्रम में शिरकत तो की, लेकिन अपनी शर्तों पर। बता दें कि प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस की एक परंपरा तोड़वा दी है। दरअसल आरएसएस के कार्यक्रमों में एक परंपरा रही है कि मुख्य अतिथि के बाद सबसे अंत में सरसंघचालक भाषण देते हैं। लेकिन इस बार के कार्यक्रम में यह परंपरा टूट गई और कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि प्रणब मुखर्जी ने सबसे अंत में अपना भाषण दिया।
हालांकि यह इतना भी आसान नहीं रहा और कार्यक्रम आयोजित होने के 2 दिनों तक भी इस पर मंथन चलता रहा था। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यालय से आरएसएस को पहले ही बता दिया गया था कि कार्यक्रम के अंत में सबसे आखिरी भाषण प्रणब मुखर्जी का होगा। चूंकि आरएसएस की परंपरा रही है कि सबसे अंत में सरसंघचालक अपना भाषण देते हैं, इसलिए अन्तिम समय तक भी यह साफ नहीं हो पा रहा था कि क्या संघ प्रणब मुखर्जी के लिए अपनी परंपरा तोड़ेगा? खबर है कि कार्यक्रम के अंतिम सर्क्यूलर में भी सरसंघचालक मोहन भागवत को ही अंतिम स्पीकर बताया गया था। गुरुवार सुबह तक भी यही खबर थी कि मोहन भागवत ही सबसे अंत में बोलेंगे। लेकिन आखिरकार संघ ने प्रणब मुखर्जी के कार्यालय की बात मान ली और इस तरह से आरएसएस की पुरानी परंपरा टूट गई।
माना जा रहा है कि प्रणब मुखर्जी कार्यालय द्वारा पूर्व राष्ट्रपति को सबसे अंत में भाषण देने के लिए पूर्व वायुसेना प्रमुख एवाई टिपनिस वाला घटनाक्रम भी जिम्मेदार हो सकता है। बता दें कि साल 2007 में आरएसएस के नागपुर में हुए कार्यक्रम में पूर्व वायुसेना प्रमुख एवाई टिपनिस ने शिरकत की थी, तब सरसंघचालक केएस सुदर्शन थे। प्रणब दा की तरह ही एवाई टिपनिस ने भी संघ के कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान बहुलतावाद और धर्मनिरपेक्षता की बात कही थी। जिसके बाद तत्कालीन सरसंघचालक ने अंत में अपने भाषण में एवाई टिपनिस की बातों का पॉइंट टु पॉइंट जवाब दिया था। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रणब मुखर्जी ने सबसे अंत में भाषण दिया ताकि उनकी बात को काटा ना जा सके।