प्रत्यक्ष लाभ अंतरण रकम सीधे खाते में, 90 हजार करोड़ की बचत
गजेंद्र सिंह
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) यानी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के लागू होने के बाद केंद्र से भेजा गया पैसा अब काफी हद तक सीधे जरूरतमंद के हाथों तक पहुंचने लगा है। आधार से जुड़ी इस योजना के माध्यम से अभी तक देश के खजाने को 90 हजार करोड़ रुपए से अधिक की बचत हुई। यह वह पैसा है जो पहले जरूरतमंद तक न पहुंचकर गलत लोगों के पास पहुंचता था या फिर किसी अन्य रास्ते से बर्बाद हो जाता था। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) से सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत पिछले चार साल की मांगी गई सूचना में यह जानकारी डीबीटी प्रकोष्ठ ने दी है।
प्रकोष्ठ के मुताबिक डीबीटी योजना पेट्रोलियम, खाद्य, ग्रामीण विकास, अल्पसंख्यक, सामाजिक न्याय के अलावा अन्य मंत्रालयों में चलाई जा रही योजनाओं से भी जोड़ी गई है। जानकारी के मुताबिक मार्च, 2018 तक पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने ‘पहल’ योजना में 42,275 करोड़ रुपए, खाद्य व आपूर्ति मंत्रालय ने ‘पीडीएस’ में 29,708 करोड़ रुपए, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ‘मनरेगा’ में 16,073 करोड़ रुपए और ‘एनएसएपी’ (राष्टÑीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम) में 438.6 करोड़ रुपए, अल्पसंख्यक मंत्रालय ने छात्रवृत्ति योजना में 159.15 करोड़ रुपए, सामाजिक न्याय व सशक्तीकरण मंत्रालय ने भी छात्रवृत्ति योजना में 238.27 करोड़ रुपए और अन्य मंत्रालयों में लागू योजनाओं ने डीबीटी के माध्यम से पिछले चार साल में 1120.69 करोड़ रुपए की बचत की है। देश में कुल 90012.71 करोड़ रुपए की बचत की गई है।
- फर्जी लोगों को हटाने में मिला फायदा
- पहल योजना में 3.79 करोड़ फर्जी और निष्प्रयोग एलपीजी कनेक्शन हटाए गए। 2.22 करोड़ ने अपनी सबसिडी छोड़ने की पहल की है। 1.04 करोड़ लोगों ने सबसिडी छोड़ दी है।
- पीडीएस योजना में 2.75 फर्जी और निष्प्रयोग राशन कार्ड हटाए गए हैं। इसमें पलायन और मृत्यु होने पर सुविधा से हटाए जाने की संख्या भी शामिल है।
- मनरेगा में धरातल पर हुई जांच के बाद करीब 10 फीसद भत्ता फर्जी और अनुचित लाभार्थियों को देने से बचाया गया।
- एनएसएपी योजना में 2.2 लाख फर्जी और अनुचित लोगों को हटाया गया।
- अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना में 5.26 लाख लोगों को हटाया गया।
- सामाजिक न्याय छात्रवृत्ति योजना में 1.79 लाख लोगों को हटाया गया।
यूआइडआइ के पास नहीं पहुंच रही हैं आधार संबंधी शिकायतें
यूआइडीएआइ से आठ बिंदुओं पर मांगी गई सूचना में यह भी बताया गया है कि उनके पास आधार कार्ड से संबंधित कोई भी सूचना मुख्यालय नहीं आ रही है। सभी शिकायतें आधार संपर्क केंद्रों पर टेलीफोन, ईमेल व अन्य माध्यमों से पहुंच रही हैं, जहां उनका निस्तारण किया जा रहा है। साथ ही यह भी बताया गया है डाटा लीक से संबंधित कोई भी शिकायत उनके पास नहीं पहुंची है और न ही यूआइडीएआइ और सीआइडीआर (केंद्रीय पहचान डाटा कोष) में कोई डाटा लीक हुआ है।
- 133 करोड़ जनसंख्या में 118 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड है जो आबादी का 88.70 फीसद है
- 0 से 5 साल के बच्चों में 47.4 फीसद के बने हैं कार्ड
- 5-18 साल के आयु वर्ग के 77.4 फीसद के कार्ड बने 100 फीसद कार्ड बनने का दावा पंजाब, दिल्ली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, केरल, हरियाणा, चंडीगढ़, तेलंगाना में त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, जम्मू व कश्मीर समेत 13 राज्यों में अभी 90 फीसद से नीचे है कार्ड बनाने की संख्या