प्रदोष व्रत 2018: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा

हर माह त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। आज ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। माना जाता है प्रदोष समय में महादेव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और उनके नृत्य को देखकर सभी देवता उनका वंदन करते हैं। महर्षि सूतजी के अनुसार इस दिन व्रत करने से भगवान शंकर सदा निरोगी रहने का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इस दिन किया जाने वाला व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। माना जाता है इस दिन व्रत करने से मनुष्य के सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं।

प्रदोष व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को होता है। सूर्यास्त के बाद रात से पहले आने वाले समय प्रदोष काल कहा जाता है। हिन्दू धर्म में इस व्रत को महत्व होता है। कहा जाता है इस दिन व्रत रखने पर व्यक्ति को सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। शास्त्रों के मुताबिक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों के दान जितना होता है। शास्त्रों के अनुसार सबसे पहले इस व्रत के महत्व के बारे में भगवान शिव ने माता सती को बताया था, उसके बाद सूत जी को इस व्रत के बारे में महर्षि वेदव्यास जी ने सुनाया, जिसके बाद सूत जी ने इस व्रत की महिमा के बारे में शौनकादि ऋषियों को बताया था।

व्रत विधि – प्रदोष व्रत करने के लिए आप त्रयोदशी को सूर्योदय से पहले उठ जाएं। स्नान आदि करने के बाद आप साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को कुछ देर पहले दोबारा स्नान करें और सफेद रंग के कपड़े धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान को गंगा जल से स्वच्छ कर लें। अब आप गाय का गोबर ले और उसकी मदद से मंडप तैयार करें। पांच रंगों से मंडप में रंगोली बना लें। सभी तैयारी पूरी करने के बाद आप ईशान कोण यानी उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं और भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करें और शिव को जल चढ़ाएं।

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