प्रवीण तोगड़िया ने खत्म किया अपना उपवास, बोले- नाकाम साबित हुए पीएम मोदी, नहीं पूरे कर सके वादे
विहिप के पूर्व महासचिव प्रवीण तोगड़िया ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समेत कई मांगों को लेकर तीन दिन से चल रहा अपना ‘अनिश्चितकालीन उपवास’ आज खत्म कर दिया। उपवास तोड़ने के बाद तोगड़िया ने कहा कि वह ‘ हिंदुत्ववादी राजनीति’ के पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रव्यापी दौरा करेंगे। 62 साल के तोगड़िया ने कहा कि वह डॉक्टरों की सलाह पर अपना उपवास खत्म कर रहे हैं। सर्जन से तेजतर्रार नेता बने तोगड़िया ने धर्म गुरुओं से फलों का जूस पीकर अपना उपवास तोड़ा। अखिलेश्वर दास महाराज के नेतृत्व में धार्मिक नेताओं ने उनसे उपवास खत्म करने का अनुरोध किया था। पिछले हफ्ते अपने नामित उम्मीदवार के संगठन चुनावों में हारने के बाद तोगड़िया ने विश्व हिंदू परिषद छोड़ दी थी। राम मंदिर के निर्माण, अवैध बांग्लादेशियों को वापस भेजने, कश्मीर में हिन्दुओं को फिर से बसाने और संविधान की धारा 370 को रद किये जाने की मांगों को लेकर उन्होंने मंगलवार से अनिश्चितकालीन उपवास शुरू कर दिया था।
तोगड़िया ने संवाददाताओं से बातचीत में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे भी अपने पूर्ववर्तियों की तरह ही बुरे साबित हुए हैं। वह अपने ही किए वादे पूरे करने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह 100 करोड़ हिन्दुओं के मुद्दों और हिंदुत्ववादी राजनीति को फिर से जिन्दा करने के लिये राष्ट्रव्यापी दौरा शुरू करेंगे। क्योंकि भाजपा सरकार देश के सामने आ रही समस्याओं को सुलझाने में विफल रही है।
विश्व हिन्दू परिषद के लंबे वक्त तक नेता रहे प्रवीण तोगड़िया उपवास तोड़ने के बाद खासे कमजोर दिखे। उपवास पर बैठने के दौरान उनका वजन तीन किलो कम हो गया। उनकी देखरेख करने वाले डॉक्टरों ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने अपना उपवास जारी रखा तो उनकी किडनी पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। इलाज के लिए उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत भी पड़ सकती है। बता दें कि उग्र हिंदुत्व के समर्थक माने जाने वाले तोगड़िया ने सरकार को असहज करने वाली कुछ मांगों को लेकर उपवास शुरू किया था। प्रवीण तोगड़िया की मांग थी कि संसद में बिल पास करके उत्तर प्रदेश के अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मन्दिर का निर्माण करवाया जाए। इसके अलावा उनकी मांग थी कि किसानों का कर्ज पूरी तरह से माफ किया जाए और युवाओं और महिलाओं के कल्याण के लिए नई रोजगार नीति की शुरूआत की जाए।