प्रेमिका से शादी के लिए मुस्लिम युवक बना हिन्दू, फिर भी साथ नहीं रहने दे रहे घरवाले
33 वर्षीय मुस्लिम युवक ने 23 वर्षीय अपनी प्रेमिका से शादी करने के लिए हिन्दू धर्म अपना लिया। इसके बावजूद लड़की के घरवाले और हिन्दूवादी संगठन ने जबरदस्ती उसे पत्नी से अगल कर दिया है। युवक ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, याचिकाकर्ता मो. इब्राहिम सिद्दकी उर्फ आर्यन आर्या ने अपने वकील निखिल नैय्यर के माध्यम से कोर्ट को कहा कि लड़की उसके साथ रहना चाहती है, लेकिन उसके परिवारवालों ने धर्म बदलने के बावजूद उसे दूर कर दिया है। उसने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट उसे बुलाकर उसकी इच्छा के बारे में पूछताछ कर सकती है।” कोर्ट ने धम्तरी जहां लड़की ठहरी हुई है, के एसपी को लड़की को आगामी 27 अगस्त को पेश करने का आदेश दिया है। साथ ही सप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि, “लड़की यदि याचिका का समर्थन नहीं करती है तो इसे रद कर दिया जाएगा।”
याचिकाकर्ता ने कहा कि, “वह लड़की को पांच साल से जानता था और पिछले दो-तीन वर्षों से दोनो के बीच प्यार था। जनवरी से लड़की रायपुर में एक स्कूल में ज्वाइन कर ली। जब उनलोगों ने शादी करने का फैसला किया, तब 23 फरवरी को उसने हिन्दू धर्म अपना लिया और नया नाम आर्यन आर्या रखा। धर्म परिवर्तन के बाद दोनों ने रायपुर के आर्य समाज मंदिर में हिन्दू रीति-रिवाज से 25 फरवरी को शादी कर ली। हालांकि, लड़की ने शादी की बात अपने परिवारवालों से छिपाए रखी और एक सही समय का इंतजार करने लगी ताकि इसका खुलासा किया जाए। 22 मार्च को शादी का पंजीकरण भी हो गया और 17 अप्रैल को रायपुर नगर निगम द्वारा मैरेज सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया। जून महीने में लड़की के घरवालों को शादी की जानकारी हो गई। जब दोनों को आभास हुआ कि लड़की के घरवाले लड़के के पहले के धर्म को देखते हुए इस शादी को मंजूर नहीं करेंगे तब लड़की ने योजना बनाई कि बिना अपने परिवार को बताए हुए वे लड़के के घर चली जाएगी। दोनों वहीं रहेंगे। 30 जून को लड़की ने अपना घर छोड़ दिया लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया और नारी निकेतन लेकर चले गए।” याचिकाकर्ता ने यह दावा किया कि लड़की के पिता के प्रभावशाली होने की वजह से पुलिस ने एक झूठा बयान दर्ज किया कि लड़की अपने पिता के घर जाना चाहती है और इसके बाद उसे कस्टडी से पिता को सौंप दिया गया। इसके बाद से लड़के को भी हिन्दूवादी संगठनों की तरफ से धमकी मिल रही है।
याचिकाकर्ता ने सीजेआई दीपक मिश्रा और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच को बताया कि उसने पुलिस से गुहार लगाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद उसने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का रूख किया। हाईकोर्ट ने लड़की को उपस्थित करने का आदेश दिया। करीब 15 दिनों की देरी के बाद लड़की को हाईकोर्ट में पेश किया गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि, “हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई के दौरान लड़की बार-बार यह कहती रही कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है और वह अपने पति के साथ रहना चाहती है। लेकिन इस दौरान उसके माता-पिता जज के सामने रोने लगे। उसकी मां ने कहा कि वह खुद भी जहर खाकर जान दे देगी और उसे भी मार डालेगी। माता-पिता के इमोशनल भावनाओं से प्रेरित और अपने पति के साथ जाने की उनकी इच्छा के बावजूद, हाईकोर्ट ने कहा कि वह उसे अपने पति के साथ रहने के लिए आदेश नहीं दे सकता।”