फंड की कमी से जूझ रही पंजाब सरकार, मगर VIP बंगलों की मरम्‍मत के लिए खर्च कर डाले 3 करोड़

फंड की कमी की वजह से पंजाब के सरकारी स्कूलों में जरूरतमंद बच्चों को गर्म कपड़े नहीं दिए जा सके। पेंशनभोगियों को पेंशन देने में देरी हो रही है। बावजूद इसके मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, मंत्रियों,राज्य के महाधिवक्ता और अन्य लोगों के बंगलों की मरम्मत के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर दिए हैं। एटची मीडिया के मुताबिक पंजाब के महाधिवक्ता अतुल नंदा राजशाही खर्चा कराने वालों की लिस्ट में नंबर वन पर हैं। उन्होंने चंडीगढ़ के सेक्टर दो स्थित अपने सरकारी आवास (कोठी नंबर-50) पर कैम्प ऑफिस के रख-रखाव के लिए करीब एक करोड़ रुपये का बिल दिया है। यह सूचना सूचना के अधिकार के तहत हासिल की गई है। पंजाब के नेता विपक्ष सुखपाल खियारा ने आरटीआई के तहत ये सूचना मांगी है, जिससे ये खुलासा हुआ है।

आरटीआई के मुताबिक, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के आवास के रख-रखाव के लिए करीब 50 लाख रुपये खर्च किए जाने का बजट बनाया गया है। इनमें से 22.2 लाख रुपये के काम का टेंडर जारी हो चुका है और करीब पांच लाख रुपये का बिल ट्रेजरी में जमा हो चुका है। बता दें कि मुख्यमंत्री आवास में ही चार बंगला है। पंजाब के सबसे धनी विधायक और मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने भी अपने सरकारी आवास पर एक कैम्प ऑफिस बनवाने की पेशकश की है। इसका अनुमानित बजट 35 लाख रुपये बताया गया है। इनमें से 11.3 लाख रुपये का काम आवंटित हो चुका है और साढ़े चार लाख रुपये का बिल ट्रेजरी में जमा हो चुका है।

राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल का भी नाम इस लिस्ट में है। उन्होंने राज्य के कई विभागों के खर्चे में कटौती की है मगर अपने सरकारी आवास पर नए गेस्टरूम, स्टोर सिक्योरिटी रूम, बाथरूम बनवाने के लिए 25 लाख रुपये खर्च किए हैं। इनमें से 14.7 लाख का काम आवंटित हो चुका है और करीब साढ़े चार लाख रुपये का बिल जमा हो चुका है।

पर्यटन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का नाम भी राजशाही खर्चे करने वाले मंत्रियों की सूची में शामिल है। इन्हें पूर्व विधान सभा अध्यक्ष चरणजीत सिंह चटवाल का आवास आवंटित हुआ है मगर इन्होंने भी उसके रख-रखाव के लिए 19 लाख रुपयों की मांग की है। सिद्धू ने दफ्तर के रिनोवेशन के लिए भी 15.7 लाख रुपये की मांग की है। दूसरे मंत्रियों में ब्रह्म मोहिन्द्रा, चरणजीत चन्नी, राणा केपी सिंह, रजिया सुल्तान, तृप्ति राजिंदर बाजवा का भी नाम शामिल है। बता दें कि राज्य पर 2.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।

 

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