फीफा वर्ल्ड कप 2018: जब जूते के डब्बे में छुपाई विश्व कप ट्रॉफी

संदीप भूषण

फीफा विश्व कप का बुखार प्रशंसकों के सिर चढ़ कर बोल है। लगभग दस दिन बाद यानी 14 जून से रूस में फुटबॉल महाकुंभ में दर्शकों का सैलाब उमड़ने वाला है। लेकिन क्या आप जानते हैं, 1930 में शुरू हुए इस टूर्नामेंट की ट्रॉफी को लगभग बारह सालों तक जूता रखने वाले डब्बे में छिपा कर रखा गया था। लगातार गोलियों की बौछार के बीच भी फुटबॉल के लिए लोगों का प्रेम कम नहीं हुआ और फीफा द्वारा इस टूर्नामेंट को रोक दिए जाने के बाद भी लोगों ने विश्व कप मान कर ही 1942 और 1946 में टूर्नामेंट का आयोजन किया, जिसे देखने लगभग एक लाख लोग आए। जी हां, यही है दूसरे विश्व युद्ध के शुरू होने और समाप्त होने के बीच फुटबॉल विश्व कप की रोमांचक कहानी।

दरअसल, कई इतिहासकारों और समाचार पत्रों के मुताबिक 1938 में आयोजित फीफा विश्व कप में हंगरी को 4-2 से हरा कर इटली विजेता बना। चार साल के अंतराल पर आयोजित होने वाले इस टूर्नामेंट के लिए अगले मेजबान के तौर पर दक्षिण अमेरिका का नाम सामने आया। इस बीच मेजबानी को लेकर यूरोप और दक्षिण अमेरिका में तनातनी हुई। अभी फीफा इन दोनों में से किसी एक को मेजबान तय करता उससे पहले सितंबर 1939 में जर्मन फौज ने पोलैंड पर हमला कर दिया और विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई।
फीफा ने फैसला किया कि जब तक मामला शांत न हो जाए, इस टूर्नामेंट को रोक दिया जाए। इस बीच आधिकारिक तौर पर तो विश्व कप का आयोजन बंद रहा लेकिन इसी की तरह चार साल के अंतराल पर टूर्नामेंट का आयोजन होता रहा। उसमें जीत दर्ज करने वाली टीमें आज भी खुद को उस दौर का विश्व विजेता ही बताती हैं।

1942 में दो अनाधिकारिक फुटबॉल विश्व कप का आयोजन

इस वक्त पूरी दुनिया दो खेमों में बटी थी। उथल-पुथल भरे माहौल में नाजी जर्मनी और अर्जेंटीना के बीच विश्व कप का फाइनल खेला गया था। इस विश्व कप में बारह टीमों ने हिस्सा लिया था। हालांकि इसमें जीत किसकी हुई यह कह पाना मुश्किल है क्योंकि उस दौरान दोनों ही पक्ष अपनी जीत का दावा कर रहे थे। इस घटना पर एक अग्रेजी फिल्म भी बनी जिसका नाम ‘लॉस्ट ऑफ वर्ल्ड कप’ रखा गया।

1942 में ही नाजी जर्मनी में एक और अनाधिकारिक फुटबॉल विश्व कप का आयोजन किया गया जिसमें यूरोप की दो दिग्गज टीमें भाग ले रही थीं जिसमें जर्मनी के साथ स्वीडन शामिल था। इस मैच को देखने लगभग एक लाख लोग पहुंचे थे। हंगरी, बुल्गारिया और रोमानिया को हराने के बाद 30 सितंबर 1942 को नाजी जर्मनी के सामने स्वीडन की चुनौती थी।

जब हिटलर ने खिलाड़ियों को धमकाया

स्वीडन के खिलाफ मैच से पहले जर्मनी की टीम हिटलर के जन्मदिन के मौके पर आयोजित मैच में स्विट्जरलैंड से हार चुकी थी। इस हार के बाद उनके खिलाड़ियों को यह कहा गया था कि अगर वह इस मैच में स्वीडन से हारते हैं तो उन्हें ईस्टर्न फ्रंट पर भेज दिया जाएगा। हिटलर की धमकी के बाद जर्मन खिलाड़ियों के लिए यह मैच काफी महत्त्वपूर्ण हो गया। हालांकि इसमें जर्मनी की टीम हार गई। इसके बाद नवंबर 1942 में जर्मनी की सभी टीमों को भंग कर दिया गया और खिलाड़ियों को जबरन सेना में भेज दिया गया। इस मैच को नाजी टीम के पतन के तौर पर इतिहास में याद किया जाता है।
1946 में आयोजित हुआ विश्व कप!

1945 में विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद फीफा ने फिर से विश्व कप कराने की बात शुरू की और 1946 में इसके आयोजन की योजना तैयार होने लगी। फीफा के कई अधिकारियों के साथ ही कई देशों ने कम समय का हवाला देते हुए इसकी तारीख आगे बढ़ाने की बात कही और फीफा विश्व कप के आधिकारिक टूर्नामेंट का आयोजन 1950 हुआ। लेकिन इस बीच 1946 में दक्षिण अमेरिकी चैंपियनशिप में अर्जेंटीना ने ब्राजील को 2-0 से हराया और ज्यादातर दक्षिण अमेरिकी प्रशंसक इसे विश्व कप में जीत मानने लगे।

विश्व युद्ध के दौरान जूता रखने वाले डब्बे में छुपाई ट्रॉफी

ब्रिटेन की एक पत्रिका के मुताबिक जब विश्व युद्ध शुरू हुआ तब फीफा के तत्कालीन उपाध्यक्ष ओटोरिनो बारासी ने विश्व कप ट्रॉफी को एक जूता रखने वाले डब्बे में छुपाई थी। वह इस डब्बे को अपने घर में एक बेड के नीच रखते थे ताकि किसी को संदेह न हो।

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