फुटपाथ नहीं, ये ‘फूटे-पाथ’ हैं, जरा मुंबई के पैदल आदमी का दर्द सुनिए

मुंबई:

ऐ भाई जरा देखकर चलो… जरा हटकर, जरा बचकर यह मुंबई है मेरी जान… मुंबई में अगर आप फुटपाथ पर चल रहे हैं, तो फिल्मी गाने की ये दो लाइनें हमेशा ध्यान रख लीजिए. फुटपाथ पैदल आदमी के लिए हैं. उनके चलने की जगह है. लेकिन इनकी हालत ऐसी टूटी-फूटी है कि आप इन्हें ‘फूटे-पाथ’ कह लीजिए. मुंबई में कई जगह फुटपाथ गायब है. इस पर सड़क का कब्जा हो चुका है. कई जगह ऐसी हैं, जहां ठेली-पटरीवालों ने अपनी दुकान सजा ली हैं. NDTV इंडिया ने पैदल चलने वालों के हक की आवाज उठाते हुए मुंबई के ‘फटेहाल’ फुटपाथों की पड़ताल की. जानिए ग्राउंड रिपोर्ट में हमें क्या क्या मिला. पैदल चलने वालों ने हमसे अपना क्या क्या दर्ज बयां किया…

ये फुटपाथ, जो कभी मुम्बइकरों के चलने और सुरक्षा के लिए बनाए गए थे. आज टूटे, बिखरे, और बेजान पड़े हैं. कहीं कचरे का अंबार कहीं नशेड़ियों का अड्डा. तो कहीं प्रेमी जोड़ों का कोना बन चुके हैं. यहां टूटे पड़े CCTV कैमरे बयान कर रहे हैं कि बीएमसी की नज़र में पैदल चलने वालों की जान की कोई कीमत नहीं है .वरना फ़ुटपाथों का ये हाल न होता.

6 मार्च को लोखंडवाला बैक रोड पर एक मां और बेटी तेज रफ्तार कार और खड़ी बस के बीच फंसकर गंभीर रूप से घायल हो गए. वजह थी फुटपाथ तो, यहां फुटपाथ चलने के लायक नहीं थे. अंधेरी से लेकर बोरिवली तक, एक ओर खड़ी बसें और वैन, दूसरी ओर घने पेड़, बीच में पैदल चलने की जगह ही नहीं बची. जब फुटपाथ ही नहीं रहेगा, तो लोग मजबूरन सड़कों पर उतरेंगे, जहां हर कदम जानलेवा साबित हो सकता है.

क्या कहती है आम जनता

लोखंडवाला बैक रोड हादसे पर बात करते हुए एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि अगर आप लोकल हो तो आपको पता चलेगा कि कार वाले की गलती है. मगर उस महिला को सड़क पर लाने की जिम्मेदारी किसकी थी. आप देखें रहे हैं कि फुटपाथ पर चलना कितना चुनौती भरा है. एक अन्य स्थानीय नागरिक और मार्केटिंग प्रोफेशनल बलराम विश्वकर्मा ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि लोखंडवाला में जो हादसा हुआ, वो सिर्फ इसीलिए हुआ क्योंकि बाकी फुटपाथ चलने लायक नहीं थे. मां और बेटी मजबूरन सड़क पर चलीं और तेज़ रफ्तार गाड़ी ने उन्हें टक्कर मार दी. ये समस्या सिर्फ एक इलाके की नहीं, बल्कि पूरे शहर की है. हम चाहते हैं कि हमें एक ऐसा फुटपाथ मिले जो सुरक्षित हो, ना कि गलत कामों का अड्डा बने.