फ्रॉड करने वालों की संपत्ति जब्त होगी, अध्यादेश को मोदी सरकार की मंजूरी
पॉक्सो एक्ट में संशोधन कर 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ बलात्कार करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा देने का अध्यादेश लाने के बाद केन्द्र सरकार एक और अहम अध्यादेश लेकर आयी है। दरअसल सरकार अब देश छो़ड़कर भागने वाले अपराधियों पर सख्त होने जा रही है। यही वजह है कि कैबिनेट ने आज आर्थिक अपराध अध्यादेश 2018 को अपनी मंजूरी दे दी। इस अध्यादेश की मदद से देश छोड़कर भागने वाले आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जा सकेगी।
इस अध्यादेश की मदद से ऐसे लोगों के खिलाफ कारवाई की जा सकेगी, जो आर्थिक धांधली कर रकम चुकाने से इंकार कर चुके हैं। इसके साथ ही जिनके खिलाफ आर्थिक अपराध में गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। इसके अलावा 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया वाले लोन डिफॉल्टर्स पर भी इस अध्यादेश के तहत कारवाई की जा सकेगी। इस अध्यादेश में यह भी प्रावधान किया गया है, जिसके तहत भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्ति बेचकर कर्ज देने वालों के नुकसान की भरपायी की जा सकेगी और आरोपी देश लौटने के बाद अपनी प्रॉपर्टी पर दावा भी नहीं कर सकेगा।
सरकार ने इस अध्यादेश से डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर स्तर के अधिकारी भी आरोपी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर सकेगा। भगोड़ा घोषित करने की याचिका में आरोपी का पता-ठिकाना और उसकी सारी संपत्ति का ब्यौरा भी शामिल होगा। भगोड़ा घोषित करने का आवेदन मिलने के बाद स्पेशल कोर्ट आरोपी को 6 हफ्ते का समय भी देगा। यदि इस समय में आरोपी अदालत में पेश हो जाता है तो उसके खिलाफ भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल के तहत कारवाई नहीं की जाएगी। बता दें कि सरकार ने 12 मार्च को लोकसभा में आर्थिक अपराध अध्यादेश 2018 बिल पेश किया था, लेकिन संसद में हंगामे के कारण यह बिल पास नहीं हो सका। ऐसे में सरकार इस बिल को अध्यादेश के रुप में लायी है। बता दें कि विजय माल्या और नीरव मोदी अरबों रुपए का घोटाला करके देश छोड़कर भाग चुके हैं। इसके बाद से ही विपक्षी पार्टियां सरकार पर निशाना साध रही हैं। यही वजह है कि सरकार इस बिल को आनन-फानन में अध्यादेश के रुप में लायी है।