बंगालः आकर्षण का केंद्र बना देश का पहला तैरता बाजार

‘हमने बैंकाक में ऐसे तैरते बाजार तस्वीरों और फिल्मों में देखे थे। लेकिन अब कोलकाता में ही हम ऐसे बाजार में खरीदारी का मजा ले सकते हैं।’ कोलकाता में हाल में खुले देश के पहले फ्लोटिंग यानी पानी पर तैरते बाजार में खरीदारी के लिए पहुंचे अभिजित सेन के चेहरे पर यह कहते हुए गहरी मुस्कान है। महानगर के दक्षिण इलाके में एक विशाल झील में नावों पर सजा यह बाजार एक पर्यटन स्थल के तौर पर भी लोगों को लुभा रहा है। कोलकाता ही नहीं, दूरदराज के लोग यहां घूमने व खरीदारी करने पहुंच रहे हैं।

कोलकाता की पाटुली झील पर बना यह बाजार देश का पहला तैरता बाजार है। थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों में तो ऐसे बाजार पहले से ही हैं, लेकिन भारत में ऐसा कोई बाजार नहीं था। कोलकाता महानगर विकास प्रधाकिरण की ओर से नौ करोड़ की लागत से बनाए गए इस बाजार में फल-सब्जी, मछली और फूलों समेत तक सबकुछ नावों पर बिकता है। झील में डेढ़ सौ से भी ज्यादा नावों में तरह-तरह के सामान बिकते हैं। पांच सौ मीटर लंबे और 60 मीटर चौड़े इस बाजार में खरीददारों के लिए लकड़ी की पुलिया पर रास्ते बने हैं जिनको वाकवे कहा जा रहा है।

दरअसल, यह बाजार हाकरों के पुनर्वास की राज्य सरकार की योजना का हिस्सा है। इस इलाके में पहले दो सौ से ज्यादा हाकर सड़क के किनारे वीआइपी बाजार में अपनी दुकानें लगाते थे। लेकिन सड़क को चौड़ा करने के कारण उनकी दुकानें उजड़ गई थीं। उन हाकरों के पुनर्वास के लिए ही सरकार ने इस झील में बैंकाक की तर्ज पर बाजार बसाने का फैसला किया। पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने बताया कि उन्होंने थाईलैंड के अपने दौरे के दौरान वहां तैरते बाजार देखे थे। तभी कोलकाता में ऐसा एक बाजार स्थापित करने का विचार आया था। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसे देखने के लिए देसी-विदेशी सैलानी भी यहां आएंगे। मंत्री बताते हैं, ‘सरकार राज्य के दूसरे शहरों में भी ऐसे बाजार बनाने पर विचार कर रही है।’

इस बाजार में पहुंचने वाले खरीदार भी खुश हैं और यहां कारोबार करने वाले दुकानदार भी। सब्जी खरीदने बाजार में सपरिवार पहुंचे रत्नाकर गांगुली कहते हैं, ‘यह एक नई अवधारणा है। आम के आम और गुठली के दाम की तर्ज पर यहां खरीददारी भी हो जाती है और घूमना-फिरना भी।’ एक स्थानीय निवासी अमित शाह कहते हैं, ‘यह एक नया विचार है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यहां भीड़ और बढ़ेगी।’ यहां खरीददारी कर रहे एक व्यक्ति अनिर्वाण कहते हैं, ‘बाजार की खासियत यह है कि यहां आस-पास के दूसरे बाजारों के मुकाबले कीमतें सस्ती हैं। अब मैं रोजमर्रा के सामान की खरीदारी इसी बाजार से करूंगा।’

केएमडीए ने साफ-सफाई का खास ध्यान रखा है और दुकानदारों से कचरा झील में नहीं फेंकने की अपील की है। केएमडीए अधिकारी बताते हैं कि हर सप्ताह जाल के जरिए झील में गिरे कचरे को साफ किया जाएगा। बाजार में सब्जी बेचने वाले काशीनाथ खोबरा कहते हैं, ‘बैंकाक ही क्यों, हमें तो वेनिस में होने का अहसास हो रहा है। मैंने तस्वीरें देखी हैं वेनिस की। अब मुझे लगता है कि मैं भी वहीं हूं।’ एक अन्य दुकानदार मजहर आलम कहते हैं, ‘आप कभी रात के समय आइए। बिजली की रंग-बिरंगी झिलमिलाती रोशनी में यहां का नजारा बैंकाक और वेनिस से कम नहीं लगता।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *