बजट 2018: मैट को तर्कसंगत, मेडिकल खर्च छूट सीमा 50 हजार रुपए सालाना करने की मांग
उद्योग जगत ने सरकार से आगामी बजट में न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) में भारी कटौती करने और आम नौकरी पेशा लोगों के लिए आयकर छूट की सीमा बढ़ाने के साथ साथ सालाना चिकित्सा खर्च से जुड़ी कर कटौती को मौजूदा 15,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए करने की मांग की है। देश के सबसे पुराने उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ने वित्त मंत्रालय को भेजे बजट पूर्व ज्ञापन में कहा है कि सरकार को कंपनी कर की दर को दो साल पहले के बजट में किए गए अपने वादे के मुताबिक 25 प्रतिशत कर देना चाहिए। इसके साथ ही मैट की मौजूदा दर में भी भारी कटौती की जानी चाहिए। उद्योग मंडल ने कहा कि मैट की मौजूदा दर 18.5 प्रतिशत अधिभार और उपकर समेत कुल 20 प्रतिशत तक बैठती है। यह अपने आप में काफी ज्यादा है, इसलिए इसे आगामी बजट में उपयुक्त स्तर पर लाया जाना चाहिए।
उद्योग मंडल ने कहा है कि सरकार को वेतन भोगी तबके को राहत पहुंचाने के लिए सालाना चिकित्सा खर्च की कटौती को मौजूदा 15,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही व्यक्तिगत आयकर की छूट सीमा को भी बढ़ाया जाना चाहिए। इस समय यह छूट ढाई लाख रुपए है। पीएचडी उद्योग मंडल के अध्यक्ष अनिल खैतान ने कहा कि मैट दर काफी ऊपर पहुंच गई है इसे दुरुस्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैट की शुरुआत के पीछे मकसद यही था कि शून्य कर वाली सभी कंपनियों को कर के दायरे में लाया जाए। यह कराधान बहुत पहले 2000 में 7.5 प्रतिशत से शुरू किया गया था।
उद्योग मंडल ने वित्त मंत्री को याद दिलाया कि वैसे तो सरकार की योजना कंपनी कर की दर को मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने की है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कर दरों को तर्कसंगत बनाया जाए। करों में विभिन्न प्रकार की छूट को समाप्त किया जाना चाहिए जिससे की कंपनी कर दाताओं को प्रोत्साहन मिले। वित्त अधिनियम 2016 में इस संबंध में विभिन्न प्रावधानों में संशोधन भी कर दिया गया है।
इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कंपनियों को उपलब्ध कटौती को विभिन्न चरणों में समाप्त किया जाएगा ताकि इसे कंपनी कर दर कम करने के सरकार के निर्णय के अनुकूल किया जा सकेगा। खेतान ने चिकित्सा खर्च के तहत दी जाने वाली कर कटौती की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि महंगाई और दैनिक दिनचर्या के बढ़ते खर्च को देखते हुए सरकार को न केवल व्यक्तिगत कर सीमा को बढ़ाना चाहिए बल्कि चिकित्सा खर्च की कर छूटसीमा को मौजूदा 15,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए वार्षिक कर देना चाहिए।