बडगाम: सुरक्षा बलों ने आतंकी को मार गिराया, एनआइए के आरोप-पत्र में चार्ली, अल्फा व बीटा
मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में रविवार को एक लश्कर- ए-तैयबा के आतंकवादी को मार गिराया। पुलिस ने बताया कि जिले के बीरवाह इलाके में अरिजÞल के खान मोहल्ला में आतंकवादियों के छुपे होने की सूचना मिली थी। इसके बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी की और रात में खोज अभियान चलाया। सुरक्षा बल तलाश अभियान चला ही रहे थे कि एक आतंकवादी घर से भागने की कोशिश में बाहर निकल कर सुरक्षाकर्मियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाने लगा। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई कर आतंकी को ढेर कर दिया। मारे गए आतंकी की पहचान शहफात हुसैन वानी के तौर पर हुई है। वह उत्तर कश्मीर के बारामूला जिले के वगूरा इलाके का रहने वाला था।
अधिकारी ने बताया कि वानी अप्रैल, 2017 से लश्कर के साथ जुड़ा हुआ था। मुठभेड़ स्थल से हथियार, गोलाबारूद, मोबाइल फोन और तीन हजार रुपए नकद बरामद हुए हैं। जब आतंकवादी बच निकलने के लिए अंधाधुंध गोलीबारी कर रहा था तब गोली लगने से एक महिला जख्मी हो गई। उसकी जांघ में गोली लगी है। पुलिस ने महिला को अस्पताल पहुंचाया जहां उसकी हालत स्थिर है। मामले की जांच की जा रही है।
चार्ली, रोमियो, अल्फा और गामा ये किसी फिल्म या उपन्यास के किरदारों के नाम नहीं बल्कि राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) की ओर से एक केस की छानबीन के दौरान इकबालिया बयान देने वालों के कूट नाम हैं। एनआइए ने कश्मीर घाटी में देश विरोधी गतिविधियों के लिए पैसे मुहैया कराने के मामले में लश्कर- ए- तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद सहित 12 लोगों के खिलाफ एक अदालत में आरोप-पत्र दाखिल किया है जिसमें चार्ली, रोमियो, अल्फा, गामा एवं चार अन्य के इकबालिया बयान दर्ज हैं। इस साल 18 जनवरी को आरोप-पत्र दायर करते वक्त एनआइए ने आठ इकबालिया बयानों को जोड़ दिया और ये इकबालिया बयान देने वालों का कूट नाम (कोड नेम) चार्ली, रोमियो, अल्फा, पॉटर, पाइ, हैरी और गामा रखा। एक अज्ञात व्यक्ति ने भी इकबालिया बयान दिया है। एनआइए अधिकारियों का मानना है कि दर्ज किए गए इकबालिया बयानों से इस मामले में दोषियों को सजा दिलाने में काफी मदद मिल सकती है। बीते साल 30 मई को कश्मीर घाटी में अलगाववादियों के खिलाफ केस दर्ज करने वाली एनआइए ने कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण से जुड़े मामले में आरोपी आठ लोगों से इस बाबत इकबालिया बयान हासिल करने में कामयाबी पाई कि पैसे कहां से आए और कहां को गए।
इकबालिया बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किया जाता है। आरोपियों ने इसमें पुष्टि की है कि वे किसी जांच एजंसी के दबाव में आए बगैर बयान दे रहे हैं। पिछले साल आरोपी जब इकबालिया बयान दर्ज करा रहे थे, उस वक्त पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई गई और कार्यवाही के दौरान अदालत परिसर में कोई जांच अधिकारी मौजूद नहीं था। बाद में ये आरोपी यदि अपने बयान से मुकर जाते हैं तो एनआइए उन पर झूठी गवाही देने का केस दाखिल कर सकती है। अधिकारियों ने अपने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करवाने का मकसद उन अलगाववादियों के खिलाफ केस को पुख्ता बनाना है जिन्होंने कथित तौर पर पत्थरबाजों को पैसे मुहैया कराए और घाटी में अशांति फैलाई। इस मामले में एनआइए के गवाहों में अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का बेटा नईम- उल- जफर गिलानी और गिरफ्तार किए गए कारोबारी जहूर अहमद शाह वटाली का बेटा यासिर गफ्फार शाह शामिल है। नईम- उल- जफर ने चार पन्नों का बयान दिया जबकि यासिर ने एनआईए को आठ पन्नों का बयान दिया। दोनों को सरकारी गवाह बनाया गया है। इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी एनआइए ने हाफिज सईद और आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन सहित 12 लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया है।