बवाल दर बवाल, इन 5 बड़े विवादों की वजह से वजह से छिन गया स्मृति से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय!

साल 2019 को लोकसभा चुनावों से पहले एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कैबिनेट में बड़ा फेरबदल करते हुए स्मृति ईरानी से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय वापस ले लिया है। ईरानी के हाथ में जब से यह मंत्रालय सौंपा गया था, तब से ही यह अक्सर चर्चा का विषय बना रहता था। सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में ईरानी के कार्यकाल के दौरान बहुत से ऐसे कदम उठाए गए और फैसले लिए गए थे, जिसके कारण यह मंत्रालय विवादों में आया था। आखिरकार ईरानी से इसे वापस ले ही लिया गया। केंद्र सरकार के इस बड़े कदम के पीछे पांच मुख्य कारण हो सकते हैं। हम आपको उन पांच बड़े विवादों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी वजह से ईरानी के हाथ से यह मंत्रालय फिसल गया।

फेक न्यूज

ईरानी द्वारा अप्रैल महीने में फेक न्यूज देने वाले पत्रकारों के खिलाफ कड़े दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, जिसे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अस्वीकार किया गया था। ईरानी के मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन्स में फेक न्यूज दिखाने वाले पत्रकारों की मान्यता रद्द करने की बात कही गई थी। इसमें कहा गया था कि अगर कोई पत्रकार पहली बार फेक न्यूज़ प्रकाशित या प्रसारित करता हुआ पाया जाता है तो छह महीने के लिए उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। जबकि दूसरी पर ऐसा हुआ तो एक साल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। विज्ञप्ति में आगे कहा कि अगर पत्रकार तीसरी बार फर्जी खबरों के प्रसारण या प्रकाशन का दोषी पाया गया तो उसकी मान्यात स्थाई रूप से रद्द कर दी जाएगी। इस गाइडलाइन्स को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की काफी किरकिरी हुई थी, वहीं ईरानी को भी लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था।

राष्ट्रीय पुरस्कारों के वितरण को लेकर उठे विवाद से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मंत्रालय से हुए थे नाराज

हाल ही में वितरित किए गए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों को लेकर उठे विवाद से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से नाराज हुए थे। दरअसल, राष्‍ट्रपति भवन के अनुसार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कुप्रबंधन के चलते समारोह विवादों में घिर गया था। इस समारोह में लगभग 50 विजेता सम्‍मान लेने नहीं पहुंचे थे। विजेताओं के अनुसार जब उन्‍हें पता चला क‍ि राष्‍ट्रपति केवल 11 विजेताओं को अपने हाथों से पुरस्‍कार देंगे और इस बात की जानकारी उन्‍हें कार्यक्रम से एक दिन पहले दी गई, तो उन्‍होंने कार्यक्रम में हिस्‍सा न लेने का फैसला किया। वहीं राष्ट्रपति भवन का कहना था कि पुरस्कार वितरण समारोह को लेकर राष्ट्रपति का सचिवालय लगातार मंत्रालय के संपर्क में था और इस बात की जानकारी पहले ही दे दी गई थी कि राष्‍ट्रपति केवल एक घंटे के लिए उपलब्‍ध हो सकेंगे और इस वजह से सभी को अवार्ड नहीं दे पाएंगे। हफ्तों पहले इस बात की जानकारी मंत्रालय को देने के बाद भी विजेताओं को पुरस्कार वितरण से महज एक दिन पहले इस बात के बारे में बताया गया था।

ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स के लिए कमेटी बनाने का आदेश दिया था स्मृति ईरानी ने

अप्रैल माह में स्मृति ईरानी के मंत्रालय द्वारा एक और आदेश दिया गया था, जिसकी वजह से मंत्री जी को लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। दरअसल, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ऑनलाइन मीडिया और न्यूज पोर्टल्स विनियमित करने के लिए कानून तय करने के लिए एक कमेटी बनाने का आदेश दिया था। इस मामले पर करीब 100 पत्रकरों और मीडियाकर्मियों ने ईरानी को पत्र लिखकर कहा कि अतिरिक्त नियंत्रण से सरकार द्वारा राजनीतिक असहमति को दबाने के प्रयास की संभावना पैदा हो जाएगी।

आईआईएस अफसरों का तबादला बना विवाद का विषय

ईरानी के कार्यकाल के दौरान बहुत से भारतीय सूचना सेवा अधिकारियों का तबादला एक स्थान से दूसरे स्थान पर किया गया। इन तबादलों के कारण अधिकारियों के एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री कार्यालय से चिट्ठी लिखकर इस तरफ ध्यान देने की अपील की थी।

मंत्रालय ने रोका था फंड

प्रसार भारती बोर्ड के चेयरमैन ए. सूर्य प्रकाश ने हाल ही में खुलासा किया था कि प्रसार भारती के साथ हुए एक विवाद के चलते मंत्रालय ने उस फंड पर रोक लगा दी थी, जिससे दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो के स्टाफ को सैलरी दी जाती थी। सूर्य प्रकाश ने बताया कि मंत्रालय की इस दंडात्मक कदम के कारण इन कर्मचारियों को प्रसार भारती ने आकस्मिक निधि से जनवरी और फरवरी महीने का वेतन दिया था। उनके इस खुलासे के बाद स्मृति ईरानी को हर तरफ से आलोचना का सामना करना पड़ा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *