बांग्लादेश: जबरन छुट्टी पर भेजे गए देश के पहले हिंदू प्रधान न्यायधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा

समझा जाता है कि बांग्लादेश के पहले हिन्दू प्रधान न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया है। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब सरकार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के महाभियोग से सरकार का अधिकार खत्म करने के उनके फैसले को लेकर उनसे नाखुश है। सिन्हा शुक्रवार रात को आस्ट्रेलिया रवाना हो गए। उन्होंने कहा कि वह जुलाई के अपने फैसले पर पैदा हुए विवाद को लेकर आहत हैं। उन्होंने सरकार के इन दावों को भी खारिज किया कि वह बीमार हैं।

आॅस्ट्रेलिया रवाना होने से पहले उन्होंने कहा, ‘‘मैं न्यायपालिका का संरक्षक हूं, न्यायपालिका के हित में, मैं अस्थायी रूप से रवाना हो रहा हूं ताकि उसकी छवि को नुकसान नहीं पहुंचे। मैं वापस आऊंगा।’’ सिन्हा ने कहा कि वह दृढ़ता से इस बात को मानते हैं कि हालिया फैसले को लेकर उनके रुख को सरकार ने गलत समझा, जिससे प्रधानमंत्री शेख हसीना नाखुश हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि वह तथ्यों को जल्द महसूस करेंगी। सिन्हा ने विधि मंत्री अनीसुल हक के उनकी बीमारी के बारे में दावे को भी खारिज किया।

उन्होंने लिखित बयान भी जारी किया। सरकार द्वारा तीन अक्तूबर से उनकी एक महीने की बीमारी की छुट्टियां घोषित किए जाने के बाद मीडिया के साथ यह उनका पहला संवाद है। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश सुरेन्द्र कुमार सिन्हा अपने एक बयान को लेकर कुछ महीनों पहले मीडिया की सुर्खियों में आ गए थे। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश की तुलना पाकिस्तान से करने को लेकर उनकी आलोचना की थी। साथ ही उन पर देश का अपमान करने का आरोप लगाया था।

इस मुस्लिम बहुसंख्यक देश में सिन्हा सुप्रीम कोर्ट के प्रथम हिंदू प्रधान न्यायाधीश हैं। न्यायमूर्ति सिन्हा ने पाकिस्तान के शीर्ष न्यायालय द्वारा वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद से हटाए जाने का जिक्र करते हुए कल कहा था कि बांग्लादेश की न्यायपालिका काफी संयम रही है।सिन्हा ने न्यायालय में सुनवाई के दौरान कहा था, ‘‘हम बहुत-बहुत धैर्यवान हैं। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री को हटा दिया। क्या इस पर कोई आलोचना हुई? नहीं।’’

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