‘बात करते हैं महात्मा गांधी की और काम उसके ठीक उलट’
एकता परिषद के संस्थापक पी.वी. राजगोपाल का कहना है कि देश के 69वें गणतंत्र दिवस पर सभी राजनेता महात्मा गांधी के आदर्शो को अपनाने और उस पर चलने की बात तो कर रहे हैं, मगर उस पर अमल नहीं होगा। यही कारण है कि राष्ट्रीय पर्व के बावजूद गरीब को गड्ढ़ा खोदकर, पसीना बहाकर रोटी का इंतजाम करना पड़ रहा होगा। राजगोपाल को अभी हाल ही में पुणे में आयोजित ‘छात्र संसद’ में कृषि योद्धा पुरस्कार दिया गया। उन्होंने गणतंत्र दिवस के मौके पर आईएएनएस से दूरभाष पर बातचीत करते हुए कहा, “संविधान में आम आदमी को मतदान का अधिकार दिया गया तब भी बात उठी थी कि आर्थिक अधिकार भी मिलना चाहिए। तब ऐसा नहीं हो पाया। उसी का नतीजा है कि तमाम अध्ययन बता रहे हैं कि इस देश की 73 फीसदी संपत्ति पर सिर्फ एक फीसदी लोगों का अधिकार है और शेष लोग रोज कमाने खाने में अपनी जिंदगी निकाल देते हैं।
राजगोपाल ने कहा, “गणतंत्र दिवस हो या स्वाधीनता दिवस या अन्य राष्ट्रीय पर्व हर मौके पर राजनेता और सरकारें महात्मा गांधी को याद करते हैं। आज भी ऐसा हुआ मगर यह सिर्फ बातें ही हैं, इन बातों पर आजादी के बाद आज तक अमल नहीं हुआ, अगर अमल हुआ होता तो देश में इतनी आर्थिक विषमता नहीं होती। महात्मा गांधी की भावना और संदेशों का जिक्र करते हुए राजगोपाल ने कहा, “गांधी ने कहा था कि आप जो भी योजनाएं बनाएं, अंतिम व्यक्ति को अपनी नजर में रखें, अंतिम व्यक्ति को ताकतवर बनाएंगे तभी आपको यह कहने का अधिकार है कि हमने विकास किया। एक बार फिर गांधी को याद करने और उनके बताए मार्ग पर चलने का समय आ गया है।”
एक सवाल के जवाब में राजगोपाल ने कहा, “वास्तव में अंतिम व्यक्ति को सक्षम और ताकतवर बनाना है तो योजनाएं गांव के स्तर पर बनानी होगी, दिल्ली या भोपाल से बनी योजनाएं गांव की हालत नहीं बदल सकती। अभी हाल ही में ‘सस्टेनेवल गोल’ में भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक देश में गरीबी खत्म करने का वादा किया है मगर जब तक लोगों को जमीन नहीं मिलेगी, काम नहीं मिलेगा, जीने के संसाधन नहीं मिलेंगे, सम्मान को बढ़ाएंगे नहीं, तो गरीबी मिटाएंगे कैसे। गरीबी मिटाने का काम पलभर में तो नहीं होगा। उन्होंने कहा, “गांव के सारे संसाधन जमीन, खदान, जंगल जब सरकारें पूंजीपतियों को देगी और गांव वालों को धक्का मारकर झुग्गी-झोपड़ी में रहने को मजबूर करेंगी तो सवाल उठता है कि आखिर गरीबी दूर होगी कैसे।”
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सहरिया आदिवासियों को एक हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाने की घोषणा पर राजगोपाल ने कहा कि हजार दो हजार रुपयों से इन परिवारों का क्या होगा। जब तक गांव स्तर पर योजना नहीं बनेगी उनकी जरूरतों को ध्यान नहीं रखा जाएगा तब तक गांव की स्थिति और गरीबी खत्म नहीं हो सकती। उन गांव के पंच और सरपंचों को प्रोत्साहित करना होगा जो गरीबी मिटाने और गांव को संपन्न बनाने की कोशिश करें। इसके लिए प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करना होगी, जैसी रेलवे प्लेटफॉर्म की सफाई को लेकर प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है और अच्छे स्टेशन पुरस्कृत किए जा रहे हैं।