बार काउंसिल के बयान पर भड़के रिटायर्ड जस्टिस चेलामेश्‍वर, बोले- मेरा नाम तक ठीक से नहीं लिख सके

सुप्रीम कोर्ट से हाल में ही रिटायर हुए जस्टिस जस्ती चेलामेश्वर ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि बार काउंसिल के सदस्य उनका नाम तक सही नहीं लिख पाते हैं, लेकिन इन्हीं में से कुछ वकील एक दिन जज बनेंगे। ‘डेक्कन हेराल्ड’ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बार काउंसिल द्वारा उनकी आलोचना करने के सवाल पर भी तल्ख टिप्पणी की। पूर्व जज चेलामेश्वर से पूछा गया था कि बीसीआई ने उन पर शीर्ष संस्था को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। इस पर रिटायर्ड जज ने कहा, ‘वे ऐसा कैसे कह सकते हैं कि पूरा लीगल समुदाय बीसीआई के पीछे है? मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जिन्होंने कहा था कि मैंने जो कुछ भी किया वह सही था। यहां तक कि महात्मा गांधी को देश के सभी लोगों का समर्थन नहीं मिला था। कई लोग निजी तौर पर उनका सम्मान करते थे, लेकिन राजनीतिक तौर पर उनके खिलाफ थे। इसलिए मैंने इसे बीसीआई की बुद्धिमता पर छोड़ दिया है, क्योंकि मुझे इन बातों में कोई तर्क नजर नहीं आता है।’ बीसीआई के आरोपों का जवाब देने के मसले पर पूर्व जज ने कहा, ‘हकीकत में मेरे पास हर किसी की बातों पर प्रतिक्रिया देने का समय नहीं है। उन्होंने तो मुझ पर एक टीवी इंटरव्यू में बेंच फिक्सिंग का तोहमत लगाने तक का आरोप लगाया। सच्चाई यह है कि इंटरव्यू लेने वाले ने यह बात कही थी और मैंने सिर्फ उसका जवाब दिया था। मैंने उन्हें (इंटरव्यू लेने वाले) कहा था कि मैं उस हद तक (बेंच फिक्सिंग) कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन परिस्थितियां निश्चित तौर पर चिंताजनक हैं। इसके बावजूद बीसीआई इन बातों को मुझसे जोड़ना चाहता है तो मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता। बीसीआई तो अपने प्रेस रिलीज में मेरा नाम तक सही से नहीं लिख सका। इन्हीं में से कुछ लोग आने वाले दिनों में जज बनेंगे।’

जस्टिस चेलामेश्वर रिटायरमेंट के बाद तटीय आंध्र के कृष्णा जिले में स्थित अपने घर में शांतिपूर्ण तरीके से रह रहे हैं। उन्होंने जैविक खेती करने की भी योजना बनाई है। बता दें कि चेलामेश्वर के सेवानिवृत्त होने के बाद बीसीआई ने एक बयान जारी कर उनकी तीखी आलोचना की थी। बार काउंसिल ने ‘अप्रासंगिक’ और ‘विवादास्पद’ बयानों के लिए तीखी आलोचना की थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट से 22 जून को सेवानिवृत्त होने वाले न्यायाधीश चेलामेश्वर ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम. जोसेफ को शीर्ष अदालत में पदोन्नत नहीं करने के सरकार के फैसले की खुले तौर पर आलोचना की थी। मालूम हो कि न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने शीर्ष अदालत के तीन अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ 12 जनवरी को प्रेस कांफ्रेस करके विभिन्न पीठ को मुकदमे आवंटित करने में पक्षपात करने का आरोप लगाया था। साथ ही कहा था कि इससे न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ सकते हैं। बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने एक बयान में न्यायमूर्ति चेलामेश्वर के सेवानिवृत्त होने के बाद उनके बयानों की आलोचना की और कहा कि इतने उच्च पद पर आसीन व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा नहीं थी और यह उसकी गरिमा के प्रतिकूल था। बयान में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा आत्मसंयम का सिद्धांत भुला दिया गया। बयान में कहा गया है कि न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद जिस तरह से मीडिया में विवादास्पद तथा अप्रासंगिक बयान दिए, जिसकी अपेक्षा नहीं की गई थी।

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