बालाकोट हमले के महीने भर बाद ‘सबूत मिटा कर’ पाकिस्तान ने मीडिया को कैम्प दिखाया
नई दिल्ली: बालाकोट में एयर स्ट्राइक के करीब एक महीने बाद पाकिस्तानी सेना पत्रकारों की एक टीम को उस जगह लेकर गई, जहां पर जैश के टेरर कैम्प पर भारतीय वायु सेना ने एयर स्ट्राइक कर आंतकी कैम्प को तबाह कर दिया था. पाकिस्तान ने इस एक महीने के दौरान हमले के सभी सबूतों को मिटा दिया, जिससे ये साबित न हो सके कि भारत की कार्रवाई में उसके आतंकी कैम्प को नुकसान हुआ है. सूत्रों के मुताबिक़ पाकिस्तानी सेना मीडिया टीम को कैम्प के दूसरे हिस्से में ले गई, जहां हमला हुआ ही नहीं था.
रक्षा मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने बालाकोट का हुलिया बदल कर दुनिया को ऐसा दिखाने को कोशिश की है, जिससे लगे कि ये कोई आम मदरसा है. 28 मार्च को 8 मीडिया टीम के सदस्यों को बालाकोट कैम्प के अंदर ले जाने से पहले 300 के करीब बच्चों को कैम्प में बिठा दिया गया था, सभी बच्चों को पहले आए ब्रीफिंग कर ये समझा दिया गया था कि उन्हें मीडिया के सामने क्या बोलना है.
पाकिस्तान ने बालाकोट में हमले के बाद ही पाकिस्तानी सेना की फ्रंटियर कोर को तैनात कर दिया था. इसके बाद चुपचाप आतंकियों के शवो को हटा दिया गया था और तबाह हुए कैम्प को दोबारा दुरस्त कर दिया गया. यही वजह है कि हमले के एक महीने बाद पाकिस्तानी मीडिया को बालाकोट कैम्प के अंदर ले जाया गया.
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान भारतीय वायुसेना की कार्रवाई से इस तरह डरा हुआ है कि उसने सभी आतंकी गुटों से कहा है कि वह पाक अधिकृत टेरर कैम्प से बाहर निकलने के दौरान पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहनें, जिससे भारतीय एजेंसियो की रडार में आने से वह बच सकें. पाकिस्तानी सेना, आईएसआई ने इस महीने 16 मार्च को आतंकियों के टॉप कमांडर्स के साथ बैठक कर ये निर्देश दिया है.
पाकिस्तान बालाकोट में जैश के कैम्प पर भारत की कार्रवाई के बाद पीओके के 4 टेरर कैम्प को भी दूर शिफ्ट करने में लगा हुआ है, जिससे इन कैम्प्स की सिक्योरिटी बेहतर तरीके से की जा सके. ख़ुफ़िया एजेंसियो के मुताबिक पाकिस्तान ने निकयाल और कोटली इलाक़े में मौजूद लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को कहा है कि वो अपने कैंपों को लाइन ऑफ कंट्रोल से दूर रखें. इस इलाके में आतंकियों के चार कैम्प्स मौजूद हैं.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान को लगता है कि भारतीय सैटेलाइट हर वक़्त उनके कैम्प को मॉनिटर कर रहे हैं और जैसे ही आंतकी कैम्प से बाहर निकलते हैं भारतीय सेना को जानकारी मिल जाती है और वो जल्द ही मार दिए जाते हैं. अगर वो पाकिस्तानी सेना की यूनिफार्म में होंगे तो ये पहचान कर पाना मुश्किल होगा कि कौन आतंकी है और कौन पाकिस्तानी सेना का जवान.
16 मार्च को निकयाल इलाक़े में आतंकियों और पाकिस्तानी आर्मी की एक हाईलेवल मीटिंग हुई इस मीटिंग में पाकिस्तानी ISI पाकिस्तानी आर्मी के तीन POK ब्रिगेड के दो बड़े अधिकारी लश्कर आतंकी और पाकिस्तानी आतंकियों को भारत में घुसपैठ करवाने वाला गाइड अशफाक भी मौजूद था. आईएसआई ने ये फैसला किया है कि वो जैश ए मोहम्मद को ज़्यादा फंड देगा जिससे घाटी के अंदर जैश लगातार बड़ी वारदातें कर सके.
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक आतंकियो के कई कैम्प पाकिस्तानी सेना के कैम्प में शिफ्ट किये जा रहे हैं और इन कैंप के बाहर पाकिस्तानी सेना का कड़ा पहरा बैठा दिया गया है.