बिहार में तेज हुई चेहरे की जंग, चिराग पासवान बोले- नीतीश कुमार नहीं नरेंद्र मोदी होंगे एनडीए का चेहरा
लोकसभा चुनाव में तकरीबन एक साल का वक्त शेष है, लेकिन बिहार में इसको लेकर सियासत अभी से गर्माने लगी है। केंद्र और प्रदेश में सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा तक नहीं हुआ है, इसके बावजूद बिहार में चुनाव किसके चेहरे पर लड़ा जाएगा इसको लेकर खींचतान शुरू हो चुकी है। भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के बाद अब इस विवाद में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) भी कूद गई है। एलजेपी के सांसद और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में वर्ष 2019 में लोकसभा का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही चेहरे पर लड़ा जाएगा न कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई में। कुछ दिनों पहले जेडीयू के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा और केसी. त्यागी ने दावा किया था कि बिहार में एनडीए की ओर से विपक्षियों के सामने नीतीश कुमार ही चुनौती पेश करेंगे। अब चिराग पासवान ने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया है। लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘एनडीए अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव मोदी के नेतृत्व में ही लड़ेगा। मोदी के नाम पर ही जनता से वोट मांगे जाएंगे।’
बिहार के सीएम नीतीश कुमार के आवास पर 3 जून को जेडीयू कोर कमेटी की बैठक हुई थी। इसके बाद पार्टी के महासचिव पवन वर्मा ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव में एनडीए से बिहार का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे। इस बैठक में शामिल होने के लिए जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी और पवन वर्मा दिल्ली से आए थे। उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार के नाम पर ही एनडीए बिहार में लोकसभा का चुनाव लड़े और जेडीयू सबसे बड़ा दल है और नीतीश कुमार सबसे बड़ा चेहरा हैं। इस बैठक में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मौजूद थे। पवन वर्मा ने कहा कि जेडीयू अपने जीएसटी और विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर कायम हैं और इस मुद्दे से कतई पीछे नहीं हट सकते। लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर उन्होंने कहा था कि समय आने पर इसे देखा जाएगा। इस पर बिहार में भाजपा नेताओं का कहना था कि अगर जेडीयू को नीतीश कुमार के चेहरे पर इतना विश्वास है तो विधानसभा उपचुनाव में हर बार 30 हजार से अधिक मतों से उनके प्रत्याशियों की हार कैसे हुई। प्रदेश के भाजपा नेताओं ने स्पष्ट किया था कि पार्टी का उद्देश्य सभी घटक दलों को साथ लेकर चलने की है।