बिहार: मेडिकल कॉलेज में रैगिंग, 33 छात्र दोषी करार
जवाहर लाल नेहरू भागलपुर चिकित्सा महाविद्यालय के 33 छात्रों को अपने जूनियर प्रथम वर्ष के छात्रों के साथ रैगिंग करने का दोषी जांच कमेटी ने पाया है। कसूरवार ठहराए छात्रों को बतौर जुर्माना 25-25 हजार रुपए नकद जमा करना होगा। यह जानकारी कालेज के प्राचार्य डा. अर्जुन कुमार सिंह ने दी है। प्राचार्य ने बताया कि जुर्माने की रकम 30 नवंबर तक जमा करनी है। वरना इन्हें कक्षा में बैठ पढ़ाई करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह रकम कालेज के छात्र कोष में जमा की जाएगी। इस फैसले की जानकारी राज्य सरकार और भारतीय चिकित्सा परिषद को भेज दी गई है। रैगिंग के दोषी पाए छात्रों पर उच्चतम न्यायालय और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के दिशा निर्देशों के तहत कार्रवाई की गई है।
दरअसल जेएलएन भागलपुर मेडिकल कालेज में नए छात्रों के तीन महीने पहले हुए दाखिले के बाद से ही सीनियर छात्रों ने रैगिंग के नाम पर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। तंग करने की इन्तहां होने पर जूनियर छात्रों ने प्राचार्य के नाम एक पंजीकृत पत्र भेज हालात से अवगत कराया। प्राचार्य को यह पत्र 8 नवंबर को मिला। इसी के मद्देनजर प्राचार्य ने डा. एसएन तिवारी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच समिति गठित की। जिनमें डा. अशोक भगत , डा. संदीप लाल , डा. रविकांत मिश्रा , डा. उमाशंकर सिंह वरीय शिक्षक भी थे। जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में रैगिंग की शिकायत को सही पाया। और अपनी रिपोर्ट प्राचार्य को सौपीं। इसके बाद ही 33 छात्रों पर जुर्माना लगाया गया है। कालेज प्रशासन की सोच यह भी है कि भविष्य में इस पर रोक लगेगी।
हालांकि रैगिंग रोकने के लिए इसकी बुराईयों के स्लोगन वाले पोस्टर कालेज प्रशासन पुस्तकालय, कालेज व दूसरी जगहों पर लगाने की बात कह रहा है। मगर सवाल यह है कि तीन महीने से रैगिंग के नाम पर तरह तरह की प्रताड़ना के शिकार हो रहे छात्रों के हाल से कॉलेज प्रशासन कैसे बेखबर था ? यह अनुत्तरित सवाल है। सवाल यह भी है कि नए दाखिला लिए छात्र-छत्राओं की हिफाजत के प्रति यहां का प्रशासन कितना सजग है? इसकी भी पोल प्रताड़ित छात्रों की प्राचार्य के नाम की लिखी चिठ्ठी खुद व खुद खोलती है।