बिहार: सरकार से नहीं मिला पैसा तो मुस्लिम महिला ने भीख मांग बनाया शौचालय
बिहार में स्वच्छता को लेकर एक महिला की प्रतिबद्धता की आजकल हर तरफ चर्चा है। यह कहानी बाढ़ प्रभावित कोसी क्षेत्र के पथरा उत्तर गांव की अमीना खातून की है। यह गांव सुपौल जिले के पिपरा ब्लॉक में स्थित है। अमीना के पास शौचालय बनाने के लिए पैसे नहीं थे। इसके लिए उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान के तहत ब्लॉक के अधिकारियों से फंड आवंटित करने की गुहार लगाई थी, लेकिन अफसरों ने उनकी एक न सुनी। अमीना ने हिम्मत नहीं हारी। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने शौचालय बनाने के लिए आसपास के गांवों में भीख मांगनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे उनके पास टॉयलेट निर्माण के लिए पैसे इकट्ठे हो गए। इसके लिए अमीना ने एक राजमिस्त्री और एक मजदूर को काम पर रखा था, लेकिन शौचालय बनाने के प्रति अमीना की प्रतिबद्धता को देखते हुए दोनों ने पैसे लेने से इनकार कर दिया था। उनके इस प्रयास को देखते हुए जिला प्रशासन ने रविवार (11 फरवरी) को उन्हें सम्मानित किया। अमीना के पति का पहले ही निधन हो चुका है। उनका एक बेटा है। वह मेहनत मजदूरी कर अपना और अपने बच्चे का पेट भरती हैं। अमीना ने दावा किया कि उन्होंने टॉयलेट बनाने के लिए फंड देने को लेकर ब्लॉक स्तर के अधिकारियों के पास आवेदन किया था, लेकिन अफसरों ने उनकी बात अनसुनी कर दी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान योजना को लागू किया है। इसके तहत शौचालय निर्माण के लिए सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जाती है। इसमें केंद्र और राज्य का हिस्सा निर्धारित है। सरकारी दावों के अनुसार, स्वच्छ भारत अभियान के तहत लाखों की संख्या में शौचालय का निर्माण किया जा चुका है। इसके तहत खासकर गरीब तबकों को शौचालय जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। खुले में शौच करने के मामले में बिहार की स्थिति बेहद खराब है। केंद्र के साथ ही राज्य स्तर पर भी इस समस्या से निपटने के लिए काम किए जा रहे हैं। बिहार में लाखों की तादाद में लोग अब भी खुले में शौच करते हैं। प्रदेश के एक भी गांव को खुले में शौच से मुक्त घोषित नहीं किया जा सका है। फिर भी राज्य सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण योजना के तहत बिहार को 2 अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच से मुक्त रखने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सैंकड़ों करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इतनी सजगता के बावजूद अधिकारियों ने अमीना को शौचालय बनाने के लिए पैसा देने से इनकार कर दिया था। मालूम हो कि बिहार में ही दो व्यक्तियों द्वारा दर्जनों टॉयलेट बनाने के लिए फंड निकासी का मामला सामने आया था। इसके लिए फर्जी दस्तावेज पेश किए गए थे। बाद में इस पूरे प्रकरण में अधिकारियों की मिलिभगत भी सामने आई थी।