बीजेपी कार्यकर्ताओं में बढ़ता असंतोष: पीएम मोदी विकास पर अपनी ही धुन बजा रहे हैं

केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को करीब चार सालों होने को हैं। ऐसे में अब भाजपा की आर्थिक नीतियों को विरोध तेज होने लगा है। खुद भाजपा और संघ मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का विरोध कर रहे हैं, जो पार्टी के अगले लोकसभा चुनाव के लिए खतरे से कम नहीं है। यूपी के आगरा में संघ के एक कार्यकर्ता ने इंडिया टु़डे को बताया कि वर्तमान में जो हालात हैं वो 2019 के लोकसभा चुनाव में सरकार को कड़ी चुनौती देंगे। मोदी सरकार को अति उत्साही होने की वजह से अटल सरकार की तरह हार का सामना कर पड़ सकता है। अब देखना होगा की वरिष्ठ भाजपा नेता इन समस्याओं से पार पाने के लिए क्या तैयारी करते हैं। हालांकि 2019 को ध्यान में रखते हुए भाजपा के सभी विधायकों और सांसदों की एक मीटिंग बुलाई गई है। कार्यकर्ता ने आगे कहा, ‘पार्टी आलाकमान ने अब सांसद-विधायकों को मतदाताओं का मूड जानने के लिए भेजना चाहता है। साथ ही मोदी सरकार की योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाने का काम भी दिया जाना है।

वहीं भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘जमीनी स्तर पर काम कर रहे पार्टी पदाधिकारियों को मतदाताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लोग रोजाना बढ़ते पेट्रोल, डीजल और गैस के दामों पर सवाल पूछ रहे हैं। जीडीपी गिर रही है, भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नोटबंदी और जीएसटी नाकामयाब रहीं।’ उन्होंने आगे कहा कि कभी मोदी के कट्टर समर्थक रहे अब सोशल मीडिया में उन्हीं के खिलाफ लिख रहे हैं। नोटबंदी से पहले पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली अर्थव्यवस्था में सुधार के दावे करते थे। लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। पीएम मोदी और जेटली को लोगों से बाचतीत की जरूरत नहीं। इसलिए वो जो चाहे कर सकते हैं।

इंडिया टुडे को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय मजदूर संघ, स्वदेशी जागरण मंच के साथ अन्य छह संगठन मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ महारैली करने की योजना बना रहे हैं। रैली दिल्ली के रामलीला मैदान में 17 नवंबर को होनी की बात कही गई है। हालांकि भाजपा सख्ती से इस रैली को रद्द कराने की योजना बना रही है।

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