बीजेपी का महल खड़ा करने में लालकृष्ण आडवाणी ने जोड़ी हैं कितनी ईंटें, जानिए
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। अप्रैल 2018 में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया था कि करीब 11 करोड़ कार्यकर्ता बीजेपी के सदस्य हैं। पर सियासी जमीन पर बीजेपी का शानदार महल यूं ही नहीं खड़ा हो गया। पार्टी के कद्दावर नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी इस महल की मजबूत नींव और दीवारों के लिए कई ईंटें जोड़ीं। बात साल 1989 के आसपास की है। आडवाणी उन दिनों राज्यसभा के पिछले दरवाजे से संसद पहुंचते थे। आम चुनावों के बाद पार्टी में उनका कद सबसे ऊपर हो गया था।
आडवाणी पहली बार 1989 में लोकसभा सदस्य बने थे। तब बीजेपी और वाम दलों के बाहरी समर्थन से केंद्र में वीपी सिंह की सरकार बनी। सिंह ने जब पिछड़ों के लिए मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने का ऐलान किया, तो बीजेपी की चिंता बढ़ी। पार्टी के सामने जनाधार बचाने का संकट जो खड़ा था।
बीजेपी ने तब मंडल के जवाब में कमंडल पेश किया। अपने विस्तार के लिए अयोध्या के राम मंदिर का मसला उठाया। आडवाणी तब गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या के लिए रथ लेकर निकले, जिसके बाद देश में मंदिर आंदोलन का मुद्दा गरमा गया था। हुआ यह कि देश भर में इससे बीजेपी के पक्ष में माहौल बनने लगा। उसी बीच आडवाणी बिहार के समस्तीपुर पहुंचे थे, जहां लालू प्रसाद यादव ने उन्हें गिरफ्तार करा दिया। जवाब में बीजेपी ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। आगे कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर की सरकार बनी, तब आडवाणी विपक्ष के नेता बने। लेकिन वह सरकार महज चार महीने ही चली।
आगे आया 1991 का चुनाव। बीजेपी ने इसे राम मंदिर के मुद्दे पर लड़ा। पार्टी को इसमें 120 सीटें मिलीं। बीजेपी तब देश की दूसरे नंबर की पार्टी बन गई थी। राम के नाम से हुए फायदे के बाद बीजेपी ने राष्ट्रवाद का मुद्दा छेड़ा। पार्टी ने दिसंबर 1991 में तिरंगा यात्रा निकली, जिसका मकसद अगले साल 26 जनवरी को कश्मीर के श्रीनगर स्थित लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज लहराना था। इसे भी पूरा किया गया। संगठन इसी के साथ हिंदुत्व के मुद्दे पर आगे बढ़ता रहा।
फिर हवाला कांड में उनका नाम आया। छवि पर सवाल उठे, तो उन्होंने लोकसभा से त्यागपत्र दिया। घोषणा कर दी कि वह जब तक मामले में पाक-साफ बरी न होंगे, तब तक चुनाव नहीं लड़ेंगे।आडवाणी इस पर बोले थे, “ये राजनीतिक रूप से प्रेरित मामला है। फिर भी मैं इसे सबसे सामने लाने के लिए लोकसभा से त्याग पत्र देता हूं। जब तक ये झूठा आरोप नहीं हटता, तब तक मैं संसद नहीं जाऊंगा।”
संगठन में इसके बाद उनका दबदबा और बढ़ा। हालांकि, राम जन्मभूमि आंदोलन के चलते उन्हें कट्टर हिंदू नेता भी माना जाता है। आडवाणी की चुनाव न लड़ने की नीति रंग लाई, वह चुनाव तो नहीं लड़े। पर 1996 के चुनाव में बीजेपी 161 सीटें जीतकर देश की नंबर एक पार्टी बन गई थी। अटल बिहारी वाजपेयी तब पीएम बने थे। हालांकि, बहुमत न होने से यह सरकार 13 दिन में गिर गई थी।