बीजेपी के राष्ट्र रक्षा यज्ञ में बगलामुखी की आराधना! जानिए क्यों किया जाता है इस देवी का आह्वान
दिल्ली के लाल किले के पास 18 मार्च से 25 मार्च तक होने वाले राष्ट्र रक्षा महायज्ञ से पहले आज (14 फरवरी) को इंडिया गेट पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जल मिट्टी रथयात्रा को रवाना किया। यह रथ चार धाम से जल और देश की विभिन्न सीमाओं पर से मिट्टी लेकर आएगा, उससे महायज्ञ में कुंड बनाए जाएंगे। इस मौके पर गृह मंत्री ने कहा कि भारत वसुधैव कुटुम्बकम के मूल मंत्र पर कदम बढ़ाते हुए पूरे विश्व के कल्याण की बात करता है। महायज्ञ के मुख्य आयोजक और पूर्वी दिल्ली के सांसद महेश गिरी ने कहा कि राष्ट्र रक्षा महायज्ञ का आयोजन भारत की सुरक्षा और समृद्धि के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यज्ञ में भारत को आंतरिक और बाह्य व्यवधानों से मुक्त कराने के लिए अनुष्ठान किए जाएंगे। इधर, महायज्ञ को सियासी चश्मे से भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि 2019 के चुनाव से पहले बीजेपी राष्ट्र रक्षा महायज्ञ के जरिए देश में राष्ट्रवाद का माहौल बनाने की कोशिशों में जुटी है।
जानकारों का कहना है कि बीजेपी राष्ट्र रक्षा यज्ञ में बगलामुखी की आराधना करने वाली है। माना जाता है कि शत्रुओं के दमन और नाश, देश में सुख-शांति और समृद्धि, नकारात्मक ऊर्जा की समाप्ति के लिए इस तरह की आराधना की जाती है। बीजेपी के जल मिट्टी रथ को पीले रंग में रंगा गया है। उस पर पीले रंग की ध्वजा-पताका लहरा रही है। रथ पर अष्टकमल दल में ‘ह्रीं’ लिखा हुआ है। जब इस बारे में सद्गुरु स्वामी आनंद जी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ‘ह्रीं’ बगलामुखी का बीज मंत्र है। यह एक प्रकार की तंत्र साधना है।
उन्होंने बताया कि इस बीज का निर्माण शांति (ई), बिन्दु (अनुस्वार), गगन या शक्ति यानि माया (ह), ल (लकार) और र (ररंकार) से हुआ है। ह और ल से मिलकर ह्ल बीज निर्मित हुआ नकारात्मक ऊर्जाओं के दमन के लिए कारगर सिद्ध तो हुआ, पर इसमें आवेश और तीव्रता का अभाव प्रतीत हुआ। तत्पश्चात कालांतर में ऋषियों नें इसे ई अर्थात् शक्ति से युक्त कर इसे बिन्दु से पोतप्रोत किया। जिससे ये शत्रु उन्मूलन के लिए अति कारगर हथियार सिद्ध हुआ। इस बीज में बगलामु, साक्ष इकार युक्त गदी (खि), सर्वदुष्टानां (लक्ष्य), वा, इन्दु (अनुस्वार), हली (चं), मुखं, पदं, स्तंभय, प्रयोजन, पुन: बीज, तार (ॐ) तत्पश्चात अग्निसुन्दरी (स्वाहा) से शत्रु के नाश का मंत्र निर्मित होता है। इसके ऋषि नारद, छंद बृहती और देवता बगलामुखी हैं।
उन्होंने बताया कि बगलामुखी तन्त्र की दसमहाविद्या में अष्टम महाविद्या है। ये आंतरिक ऊर्जा की टेक्निकल व्याख्या है। इन्हें पीताम्बरा भी कहते हैं। यह स्तम्भन, दमन, विजय की शक्ति है। कहते हैं कि समूचे ब्रह्माण्ड की ऊर्जा इसके द्वारा प्रदत्त शक्ति का सामना नहीं कर सकती। इस महाविद्या का प्राकट्य स्वयं की आन्तरिक नकारात्मकता के लिए हुआ था। पर कालांतर में इसका प्रयोग विजय, शत्रु स्तंभन, शत्रुनाश, वाद विवाद और युद्ध में में विजय के लिए ही किया गया। ये उपासना द्विभुजी और चतुर्भुजी रूप में की जाती है। जब ऊर्जा दक्षिणमार्गी होकर दक्षिणाम्नायात्मक होती है तब द्विभुजी होती है और जब विपरीत जाकर ऊर्ध्वाम्नायात्मक होती है तो चतुर्भुज हो जाती है।
भाजपा के पीले रंग से बगलामुखी के संबंध पर उन्होंने कहा कि भगवती बगलामुखी की शत्रु स्तंभन साधना में मूलत: सिर्फ़ और सिर्फ़ पीले रंग के ही प्रयोग का विधान प्राचीन शास्त्रों में मिलता है। साथ ही कहा कि अष्ट कमल दल में दो विपरीत त्रिकोण में एक त्रिकोण निर्मित कर उसमें बगला बीज स्थापित करने से बगलामुखी का शत्रुनाशक यंत्र निर्मित होता है।