बीजेपी के वोटबैंक में सेंधमारी का कांग्रेसी प्लान: नोटबंदी, जीएसटी से खफा कारोबारियों पर नजर
मिशन 2019 के तहत कांग्रेस हर उस संभावना के द्वार खटखटा रही है जिससे उसे चुनावी फायदा मिलने के आसार हैं। इस सिलसिले में कांग्रेस नेताओं का एक समूह उन औद्योगिक शहरों का सघन दौरा करने जा रहा है, जहां के कारोबारी नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से सबसे ज्यादा परेशान हुए हैं। कांग्रेस ने शुरुआती चरण में गुजरात के सूरत और तमिलनाडु के तिरुपुर पर नजरें गड़ाई हैं। बता दें कि सूरत कपड़ा और हीरा कारोबार के लिए दुनियाभर में मशहूर है। इसके अलावा यह बीजेपी का गढ़ रहा है। पिछले 24 सालों से यानी आठ संसदीय चुनावों में बीजेपी का सूरत पर कब्जा रहा है। यहां के बड़े, मंझोले और छोटे कारोबारी परंपरागत तौर पर बीजेपी के वोटर रहे हैं लेकिन नोटबंदी लागू होने के बाद बीजेपी सरकार से उनका मोहभंग हुआ है। कांग्रेस का मानना है कि कारोबारियों की नाराजगी का फायदा उन्हें मिल सकता है। कांग्रेस के अलावा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की भी नजर सूरत पर है क्योंकि यहां करीब सात लाख उड़िया रहते हैं।
कांग्रेस तमिलनाडु के कारोबारी शहर तिरुपुर को लेकर भी सजग है। यह लोकसभा क्षेत्र परिसीमन के बाद बना है। 2009 और 2014 में यहां से तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके का यहां कब्जा रहा है। कांग्रेस चाहती है कि एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर का लाभ उठाते हुए यहां मतदाताओं का ध्रुवीकरण किया जाय। इसके लिए पार्टी गुजरात और कर्नाटक विधान सभा चुनाव की तर्ज पर इन संसदीय क्षेत्रों के लिए अलग-अलग घोषणा पत्र जारी करने पर विचार कर रही है। घोषणा पत्र में कारोबारियों के हितों का विशेष ख्याल रखने और उन्हें कारोबारी परेशानियों से मुक्ति दिलाने का वादा कर सकती है। इसके अलावा कारोबारी लोन जैसी घोषणाएं भी अपेक्षित हैं।
कांग्रेस की नवगठित घोषणा पत्र समिति की बैठक में सोमवार (03 सितंबर) को इस बारे में फैसला किया गया है। इन शहरों के अलावा पार्टी अन्य शहरों में भी ऐसी राजनीतिक संभावनाएं तलाश रही है, जहां विपक्षी वोटबैंक में सेंधमारी की जा सके। बैठक में यह भी तय किया गया कि बिजनेसमैन समूह के अलावा अगले महीने अक्टूबर से देशभर में अलग-अलग समूहों के साथ बैठक की जाए। इसके तहत किसानों, विद्यार्थियों के ऐसे करीब 70-80 समूहों की पहचान की गई है। माना जा रहा है कि किसान भी मोदी सरकार के वादाखिलाफी से नाराज हैं। वहीं छात्रों में उस वर्ग पर विशेष जोर होगा जो पहली बार मतदाता बने हैं। इन बैठकों में से कुछ भी पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के भी शामिल होने की चर्चा है। सूत्र बता रहे हैं कि अलग-अलग ग्रुप से चर्चा के बाद उनकी समस्याएं या मांगों को कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में जगह दे सकती है।