बीजेपी दो नेताओं की पार्टी? अमित शाह बोले- मुझे नाम बताओ हमारे किस नेता ने ऐसा कहा

भारतीय जनता पार्टी दो नेताओं की पार्टी है? इस सवाल पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बड़ी बात कही है। उनका कहना है कि उनकी पार्टी का कोई भी सदस्य यह बात नहीं कहेगा। उन्होंने यह बात इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक खास इंटरव्यू में कही। जब अमित शाह से सवाल किया गया कि जहां वह लोकतंत्र की बात करते हैं तो वहीं कुछ लोग बीजेपी को दो नेताओं की पार्टी बताते हैं, क्या पार्टी के अंदर कोई लोकतंत्र नहीं है? इस सवाल के जवाब में शाह ने कहा, ‘कौन ऐसा कहता है, विपक्ष को छोड़कर?’

शाह के इस जवाब पर उनसे कहा गया कि बीजेपी के अंदर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो ऐसा कहते हैं, वो ऑफ द रिकॉर्ड कहते हैं। इस पर शाह ने कहा, ‘मुझे उनके नाम बताइए।’ बीजेपी अध्यक्ष के इस जवाब पर उनसे कहा गया कि लोग उनके सामने कुछ नहीं बोलेंगेस क्योंकि वह डरते हैं। इस पर शाह ने कहा, ‘कोई भी ऐसी बात ऑफ द रिकॉर्ड में भी नहीं बोलेगा, मेरे पीठ पीछे भी नहीं कहेगा, क्योंकि मुश्किल से ही यहां कुछ ऑफ द रिकॉर्ड होता है। इसलिए यह सही है। यह ऐसी धारणा है जिसे बनाया जा रहा है।’

अमित शाह ने 2019 के चुनावों के लिए एकजुट हो रहे विपक्ष के मुद्दे पर कहा कि किसी भी राज्य में बीजेपी को विपक्ष चुनौती नहीं दे सकता। शाह ने कहा, ‘कौन से राज्य में वह हमारे लिए चुनौती बनेंगे? उत्तर प्रदेश? महाराष्ट्र? जहां से कांग्रेस अब पूरी तरह से साफ हो चुकी है। तमिल नाडु? मध्य प्रदेश? पश्चिम बंगाल? जहां हमें पूरी तरह भरोसा है कि हम 42 में से आधी सीटें तो जीतेंगे। बिहार? यहां हम हार गए थे लेकिन हमें वोट प्रतिशत अच्छा मिला था और हमारा गठबंधन भी है जो मजबूत होता जा रहा है… तो महागठबंधन कहां बीजेपी को चुनौती देगा? बीजेपी को दूर-दूर तक कोई चुनौती देने वाला खड़ा हुआ नहीं दिखता।’

शाह से सवाल किया गया कि अगर उन्हें विश्वास है कि बीजेपी लगातार मजबूत होती जा रही है तो शिवसेना जैसे सहायक दल की जरूरत क्यों, जो कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी की आलोचना करती है? इस पर शाह ने कहा, ‘हमें हर किसी की जरूरत है। हम सबको साथ लेकर चलने पर विश्वास रखते हैं। हमने खुद के दम पर बहुत से राज्यों में सरकारें बनाई हैं, लेकिन बहुत से राज्यों में हमारे गठबंधन भी हैं। हम 20 राज्यों में सत्ता पर हैं, इसलिए हम हर किसी को साथ रखना चाहते हैं।’

शाह से गोहत्या और तस्करी को लेकर हो रही लिंचिंग की घटनाओं पर जब सवाल किया गया तब उन्होंने कहा, ‘यह समझना होगा कि यह सब केवल अभी नहीं हो रहा है। आप इसके लिए केवल बीजेपी पर सवाल नहीं खड़ा कर सकते। यूपीए के शासनकाल में यह और भी ज्यादा था। लिंचिंग और सांप्रदायिक अपराधों की संख्या बढ़ी नहीं है बल्कि अब इन पर रिपोर्ट ज्यादा होने लगी है। आलोचनाओं के उलट बीजेपी शासित राज्यों में इस तरह की घटनाओं पर जल्द ही एक्शन लिया जा रहा है। हम किसी को कानून खुद के हाथ में नहीं लेने दे सकते। यहां ऐसा एक भी मामला नहीं है जिसमें इस तरह के अपराधों में शामिल व्यक्ति के खिलाफ केस नहीं दर्ज हुआ हो या फिर उसे सजा नहीं मिली हो। हर केस में एफआईआर दर्ज हो रही है। हम इस तरह के केस को गंभीरता से ले रहे हैं। समस्या तो मीडिया द्वारा बनाई गई धारणा से है। मीडिया में किसी ने भी कांग्रेस के शासनकाल में हुई इस तरह की घटनाओं पर चर्चा नहीं की है।’

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