बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन बोले- त्रिपुरा के मुसलमान देशभक्त हैं, वो पाकिस्तान नहीं गए

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन का कहना है कि त्रिपुरा के मुसलमान देशभक्त हैं, वो आजादी के बाद पाकिस्तान नहीं गए। उन्होंने कहा त्रिपुरा की बॉर्डर का बड़ा हिस्सा बांग्लादेश से लगा हुआ है, जो कि पहले पूर्वी पाकिस्तान था, लेकिन वहां के लोग बांग्लादेश नहीं गए। शाहनवाज ने त्रिपुरा के सिपाहीजाल में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान में मस्जिद में नमाज पढ़ते हुए हजारों मुस्लिमों को मार दिया गया, लेकिन इस तरह की एक भी घटना भारत में कभी भी नहीं हुई।

मुस्लिम बहुल बोक्सा नगर निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के उम्मीदवार को सपोर्ट करते हुए हुसैन ने कहा, ‘बीजेपी केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी नहीं है, वह शाहनवाज हुसैन की भी पार्टी है। यह आम लोगों की पार्टी है। यह सांप्रदायिक पार्टी नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्ष पार्टी है।’ उन्होंने कहा, ‘साल 1947 में जब आजादी मिली उस वक्त मुस्लिम पूर्वी पाकिस्तान में नहीं गए, त्रिपुरा में ही रहे, क्योंकि वह देशभक्त हैं।’ आपको बता दें कि त्रिपुरा में करीब 8 फीसदी संख्या मुसलमानों की है।

हुसैन ने आगे कहा कि त्रिपुरा की बांग्लादेश के साथ लंबी सीमा है और बॉर्डर पर रहने वाले बहुत से मुसलमानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कभी भी उनकी समस्याओं को केंद्र सरकार के सामने नहीं रखा। इसके अलावा उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी सीपीआई (एम) पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने हमेशा ही बीजेपी को त्रिपुरा में सांप्रदायिक पार्टी के तौर पर पेश किया। उन्होंने कहा, ‘यूएसएसआर के खत्म होने से पहले बहुत से मुस्लिम बहुल देशों जैसे कजाकस्तान और उजबेकिस्तान में कम्यूनिस्टों ने मस्जिदों को गिरा दिया था।’ पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बीजेपी ने देश के कई ऐसे इलाकों में जहां मुसलमानों की संख्या काफी ज्यादा है, वहां जीत हासिल की, क्योंकि मुसलमानों ने पार्टी का समर्थन किया था। उन्होंने असम, उत्तर प्रदेश, गुजरात और जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों का उदाहरण दिया। हुसैन ने आगे कहा, ‘हिंदू हमारे बेस्ट फ्रेंड हैं। हम सभी मुसलमानों को गर्व होना चाहिए कि हम भारत में पैदा हुए। आपको कहीं भी हिंदुओं जैसा दोस्त और भारत जैसा देश नहीं मिलेगा।’ हालांकि उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि 125 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में कुछ सांप्रादायिक हिंसा हुई हैं।

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