बीजेपी सांसद की चिट्ठी- देश में बढ़ रही असमानता, प्राइवेट सेक्टर से भी ज्यादा बढ़ी सांसदों की तनख्वाह

भाजपा सांसद वरूण गांधी ने स्पीकर सुमित्रा महाजन से अपील की है कि आर्थिक रूप से सम्पन्न सांसदों द्वारा 16वीं लोकसभा के बचे कार्यकाल में अपना वेतन छोड़ने के लिए आंदोलन शुरू करें। लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में वरूण गांधी ने कहा कि भारत में असमानता प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भारत में एक प्रतिशत अमीर लोग देश की कुल संपदा के 60 प्रतिशत के मालिक हैं। 1930 में 21 प्रतिशत लोगों के पास इतनी संपदा थी। भारत में 84 अरबपतियों के पास देश की 70 प्रतिशत संपदा है। यह खाई हमारे लोकतंत्र के लिये हानिकारक है। भाजपा सांसद ने कहा कि हमें जन प्रतिनिधि के तौर पर देश की सामाजिक, आर्थिक हकीकत के प्रति सक्रिय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि वह समझते हैं कि सभी सांसद ऊंची आर्थिक स्थिति नहीं रखते हैं और कई अपनी आजीविका के लिये वेतन पर ही निर्भर करते हैं।

वरूण गांधी ने अपने पत्र में लिखा, “स्पीकर महोदया से मेरा निवेदन है कि आर्थिक रूप से सम्पन्न सांसदों द्वारा 16वीं लोकसभा के बचे कार्यकाल में अपना वेतन छोड़ने के लिए आंदोलन की शुरू करें।” उन्होंने कहा कि ऐसी स्वैच्छिक पहल से हम निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की संवेदनशीलता को लेकर देशभर में एक सकारात्मक संदेश दे पाएंगे। उन्होंने लिखा कि अगर वेतन छोड़ने को कहना बहुत बड़ी मांग है तो अपनी मर्जी से अनाधिकार खुद का वेतन बढ़ा लेने की जगह पर स्पीकर महोदया वैकल्पिक तरीके को लेकर एक नया विमर्श पेश कर सकती हैं। भाजपा सांसद ने कहा कि 16वीं लोकसभा के बचे हुए कार्यकाल में हमारे वेतन को जस का तस रखने का फैसला भी इस दिशा में एक स्वागतयोग्य कदम हो सकता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि ब्रिटेन की रिव्यू बॉडी आन सीनियर सैलरी की तरह एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था की स्थापना की जा सकती है जो कि ऐसे फैसले की वहनीयता और सांसद की वित्तीय क्षतिपूर्ति की जांच करेगी और फैसला करेगी। वरूण गांधी ने कहा कि ऐसे कदम से कुछ लोगों को असुविधा होगी लेकिन इससे समग्र रूप से प्रतिष्ठान के प्रति लोगों का भरोसा पैदा होगा। वरुण गांधी ने कहा “हम जनता के प्रतिनिधि हैं इसलिए देश की सामाजिक-आर्थिक परेशानियों के लिए हमें ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है। हर महीने सरकार प्रत्येक सांसद पर 2.7 लाख रूपए के करीब खर्च करती है। पिछले दशक में सांसदों की सैलरी 400 प्रतिशत बढ़ी है जबकि इतना लाभ प्राइवेट सेक्टर को मिलने की संभावनाएं बहुत कम है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *