बीजेपी सांसद ने कहा- ‘दलित’ के इस्तेमाल पर बैन को अनिवार्य न करे सरकार
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के द्वारा टीवी चैनलों को दलित शब्द के इस्तेमाल से रोकने पर कई प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। भाजपा सांसद डॉ. उदित राज ने इस संबंध में समाचार एजेंसी एएनआई को बयान दिया है। अपने बयान में डॉ. राज ने कहा है कि मंत्रालय की सलाह तो ठीक है लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए। डॉ. उदित राज ने कहा,” दलित का अर्थ ही अनुसूचित जाति है। ये शब्द ‘दलित’ ही सर्वप्रचारित और सर्वमान्य है। मंत्रालय की सलाह तो ठीक है लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाना चाहिए।” बता दें कि भाजपा सांसद की ये प्रतिक्रिया केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की नई एडवाइजरी पर आई है। मंत्रालय ने ये सलाह बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए जारी की है।
Dalit means scheduled class. The term ‘Dalit’ is widely used and accepted. An advisory is fine but it should not be made compulsory: Udit Raj BJP MP on an advisory by I&B ministry to the media to stop using the word ‘Dalit’ pic.twitter.com/hios1lxeNC
— ANI (@ANI) September 4, 2018
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक मीडिया को दलित शब्द के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी जाती है। इसके स्थान पर मीडिया संवैधानिक टर्म Scheduled Caste (SC) का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही आधिकारिक लेन-देन, सर्टिफिकेट आदि पर भी एससी शब्द का इस्तेमाल किया जाए। यह निर्देश संविधान के आर्टिकल 341 के तहत दिया गया है।
दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जून में केन्द्रीय मंत्रालय को कहा था कि वह मीडिया को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करने से रोकें। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अभी प्राइवेट टीवी चैनलों को ही यह सलाह दी है। हालांकि मंत्रालय ने अपने आदेश में ये साफ नहीं किया है कि अखबार और विभिन्न पत्रिकाओं को भी ऐसे ही दिशा-निर्देश दिए गए हैं या नहीं। इसके अलावा सलाह न मानने वाले संस्थानों पर मंत्रालय क्या कार्रवाई करेगा? ये भी आदेश में साफ नहीं किया गया है।
इससे पहले बीती 15 मार्च को केन्द्रीय सामाजिक कल्याण मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर सभी मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों को सलाह दी थी कि आधिकारिक संवाद में दलित शब्द के बजाए एससी शब्द का इस्तेमाल किया जाए। हालांकि पूर्व कांग्रेस सासंद बालाचंद मुंगेकर ने हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में बताया कि दलित शब्द का इस्तेमाल समाज में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़े और शोषित लोगों के लिए किया जाता है। अब इस शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाकर दलित आंदोलन को बांटने की कोशिश की जा रही है।