बीजेपी सांसद ने फिर खारिज की डार्विन की थ्योरी, बोले- मैं बंदर की संतान नहीं
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने एक बार फिर कहा है कि वह जीव विज्ञानी डार्विन के क्रमिक विकासवाद के सिद्धांत को नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि वे खुद को बंदर या कपि की संतान नहीं मानते हैं। डार्विन ने अपने विकासवाद के सिद्धांत में कहा था कि मानवाकार कपि ही मनुष्य के पूर्वजों के संबंधी हो सकते हैं । केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जब उन्होंने जनवरी में पहली बार इस सिद्धांत का खंडन कर स्कूल और कालेजों में डार्विन के सिद्धांत में बदलाव करने का बयान दिया था तो वह “कोई मजाक नहीं था, बल्कि उन्होंने इस मसले पर गंभीरता से विचार किया था।”
बता दें कि जब उन्होंने पहली बार कहा था कि डार्विन की थ्योरी वैज्ञानिक रुप से गलत हैं तो इस पर उनकी तीव्र आलोचना हुई थी, और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उन्हें ऐसे बयान ना देने को कहा था। दिल्ली में ‘पॉलिटिक्स फॉर न्यू इंडिया’ नाम की एक किताब के विमोचन पर अपने विचार रखते हुए मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर रह चुके सत्यपाल सिंह ने कहा, “जनवरी में मैंने ये बयान इस पर काफी सोच विचार के बाद दिया था, यह कोई जोक नहीं है, मैं विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं, मैंने पीएचडी की है, मैं विज्ञान समझता हूं, जो लोग मेरे खिलाफ बोलना चाहते हैं, वो बोलेंगे, लेकिन कई ऐसे लोग थे जिन्होंने मुझे और मेरे बयान को सपोर्ट किया।”
उत्तर प्रदेश के बागपत से बीजेपी के सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि सरकार नयी शिक्षा प्रणाली लाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, “हम उन किताबों को पढ़ते हैं जहां बच्चों को बताया जाता है कि उसके पिता का कोई महत्व नहीं है, यह कहता है कि हमारे पूर्वज बंदर थे…कि हमलोग बंदरों की संतान है।” उन्होंने कहा कि कई लोग सच्चाई नहीं बोलना चाहते हैं क्योंकि उन्हें चिंता रहती है अखबार और आलोचक क्या लिखेंगे। सत्यपाल सिंह ने कहा कि सच्चाई कहने के लिए साहस की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि जो वो कह रहे हैं वो लोग जरूर स्वीकार करेंगे, यदि आज नहीं तो कल, या फिर 10-20 साल बाद। बता दें कि इस साल जनवरी में सत्यपाल सिंह ने कहा था कि ना तो हमारे पूर्वजों ने और ना ही किसी दूसरे ने लिखित या मौखिक रुप से कहा कि उन्होंने एक कपि को मानव में बदलते देखा है।