बीजेपी से गठबंधन पर बोलीं महबूबा मुफ्ती, बताया ‘जहर का घूंट’
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पहली बार जनसभा को संबोधित करते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उन्हें शुरू से ही भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर संदेह था। उनके मुफ्ती मोहम्मद सईद ने भी इसका विरोध किया था। लेकिन उन्होंने इसे खारिज करते हुए गठबंधन कर लिया। उनका मकसद राज्य में आधारभूत संरचना का निर्माण नहीं, बल्कि कश्मीरियों की समस्या को दूर करना था। एक साल बाद जब उनके पिता का इंतकाल हो गया और वह मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहती थी। लेकिन अंतत: उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा। वे मार्च 2016 में जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और अगले दो साल तक सत्ता में बनी रहीं, जब तक कि वर्ष 2018 के जून महीने में भाजपा ने अपना समर्थन वापस नहीं ले लिया। हालांकि शुरू से ही इसे विपक्षी अपवित्र गठबंधन कह रहे थे।
पार्टी के 19वें स्थापना दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि भाजपा-पीडीपी का गठबंधन उनके लिए जहर के घूंट पीने जैसा था। इस दौरान उन्होंने काफी दबाव में काम किया। राज्य में एक सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश की। यही वजह रही कि रमजान के महीने में सीजफायर का फैसला लिया गया। महबूबा ने अपने संबोधन के दौरान विराेधियों पर जमकर हमले किए। कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था में गिरावट के जिम्मेवार उमर अब्दुला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस है। उनके वजह से ही प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की समस्य बढ़ी। साथ ही उन्होंने कहा कि हम भाजपा को धारा 370 में किसी तरह की छेड़छाड़ से रोकने में सफल रहें।
पीडीपी प्रमुख कहा कि मेरे प्रयास से ही पीएम मोदी लाहौर गए। मैंने दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की काफी कोशिश की। आज मैं प्रधानमंत्री से अपील करती हूं कि पाकिस्तान के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान को एक सकारात्मक संदेश भेजें ताकि दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्ते हों। हालांकि, इस मौके पर पीडीपी की अंर्तकलह भी खुलकर देखने को मिली। पार्टी के छह विधायक इस स्थापना दिवस समारोह में शामिल नहीं हुए। वहीं, विधायक अब्दुल मजीद ने कुलगाम में अलग से पार्टी का स्थापना दिवस मनाया और कहा कि असली पीडीपी हम हैं।