बोफोर्स के भगोड़े क्वात्रोचि के अकाउंट्स को यूपीए कर सकती थी फ्रीज पर किया नजरअंदाज: CBI
बोफोर्स मामले में भगोड़े ओटावियो क्वात्रोचि के यूनाइटेड किंग्डम के बैंक खातों को फ्रीज रखने का विकल्प यूपीए-1 सरकार के पास था, मगए ऐसा नहीं किया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) को दी गई जानकारी में सीबीआई ने इस बात की ओर इशारा किया है, कि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार इस बात को सुनिश्चित करने में लगी थी कि क्वात्रोचि की 1 मिलियन डॉलर और 3 मिलियन यूरो तक पहुंच बनी रही, जो कि बोफोर्स डील से मिली रिश्वत का पैसा माना जाता है। मई, 2004 में यूपीए की सरकार बनने के बाद, उन घटनाक्रमों जिनके जरिए क्वात्रोचि ने रकम हासिल की, पर नोट में कहा गया है कि यूके की क्राउन अभियोजन सेवा (सीपीएस) के वकील ने सलाह दी थी कि घोषित अपराधी (क्वात्रोचि) की संपत्तियां जब्त करने की प्रक्रिया में उसके खाते फ्रीज रखे जा सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई ने पीएसी को बताया, ”उन्होंने (सीपीएस) कई फॉलो-अप कार्रवाइयां सुझाईं, जैसे- सीआरपीसी की धारा 82 के तहत ओटावियो क्वात्रोचि को घोषित अपराधी बताना, सेक्शन 82 के तहत ही उसकी संपत्तियों को जब्त करना ताकि लंदन में उन फंड्स पर रोक जारी रहे।”
हालांकि सीपीएस के सुझावों को तत्कालीन एडिशनल सालिसिटर जनरल भगवान दत्ता ने खारिज कर दिया था और कहा था कि सीपीएस के वकील स्टीफल हेलमैन द्वारा सीआरपीसी की धाराओं का इस्तेमाल करना सही नहीं है। 13, 2006 को बैंकों के लिए डिस्चार्ज ऑर्डर जारी किया गया। 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने लंदन में क्वात्रोचि के खातों पर यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश सुनाया मगर उसी दिन सारी रकम निकाल ली गई थी।
इटालियन कारोबारी ने संयम आदेश के लिए यूके होम ऑफिस पर दबाव डाला था। जिसके बाद सीपीएस ने सीबीआई से इस बात की पुष्टि करने को कहा कि लंदन के खातों को फ्रीज रखने का कोई आधार है या नहीं। लंदन से बातचीत में, दत्ता ने सीपीएस को बताया कि यूके में मौजूद रकम, स्वीडिश हथियार निर्माता से क्वात्रोचि को मिली रकम है, इसके सबूत सीबीआई को नहीं मिल सके हैं।
सीबीआई ने भारतीय अदालतों में अपनी स्टैंड बदलते हुए कहा कि वह क्वात्रोचि के खिलाफ आगे बढ़ना नहीं चाहती। दत्ता ने सीपीएस को बताया था कि क्वात्रोचि के खिलाफ 1997 में जारी रेड कॉर्नर नोटिस प्रभावी नहीं था और असफल प्रत्यर्पण की कोशिशों को देखते हुए इटालियन नागरिक को भारत में आपराधिक मुकदमे के लिए लाने की संभावना अनिश्चित थी।