ब्रिटिश टॉयलेट क्लीनर कंपनी के प्रोडक्ट हार्पिक पर कोर्ट में भारी पड़ी रामदेव की पतंजलि
बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी रहात मिली है। कोर्ट ने टॉयलेट क्लीनर हार्पिक का उत्पादन करने वाली ब्रिटिश कंपनी रेकिट बेंकाइजर की याचिका पर अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को ब्रिटिश कंपनी की अर्जी पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि दूसरे पक्ष की दलील सुने बगैर किसी तरह का आदेश नहीं दिया जा सकता है। रामदेव की कंपनी भी टॉयलेट क्लीनर का उत्पादन करती है। ब्रिटिश कंपनी ने इसके विज्ञापन पर अविलंब रोक लगाने की मांग की थी। कंपनी का कहना है कि इसमें उसके प्रोडक्ट हार्पिक की उपेक्षा करते हुए उसे कमतर दिखाने की कोशिश की गई है। इस मामले पर हाई कोर्ट अब 19 फरवरी को सुनवाई करेगा।
ब्रिटिश कंपनी रेकिट बेंकाइजर की अर्जी पर जस्टिस मनमोहन की पीठ ने गुरुवार (11 जनवरी) को सुनवाई की थी। कंपनी के अंतरिम आदेश की मांग पर कोर्ट ने कहा कि पतंजलि के जवाब पर गौर किए बगैर एकपक्षीय फैसला नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में यह विज्ञापन व्यंग्य लगता है। हाई कोर्ट ने पतंजलि को दस दिनों के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। रेकिट बेंकाइजर ने देसी कंपनी पर कॉपीराइट का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है। कंपनी का कहना है कि पतंजलि के टॉयलेट क्लीनर पर लगा लेबल हार्पिक के समान है। रेकिट बेंकाइजर के वकील चंदर लाल ने कोर्ट में दावा किया कि पतंजलि के प्रोडक्ट ग्रीन फ्लश में मिली सामग्री भी हार्पिक के समान ही है। इस कंपनी ने पतंजलि को टॉयलेट क्लीनर्स का सैंपल भी सौंपने को कहा है, ताकि ब्रिटिश कंपनी के आरोपों की जांच की जा सके। लाल के अनुसार, पतंजलि के विज्ञापन के शुरुआती कुछ सेकेंड में हार्पिक का मजाक उड़ाया गया है।
ब्रिटिश कंपनी रेकिट बेंकाइजर ने कहा कि पतंजलि का टॉयलेट क्लीनर ऑर्गेनिक भी नहीं है। हार्पिक की तरह ही इसमें भी एसिड मिलाया गया है। दूसरी तरफ, पतंजलि की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नैय्यर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने बताया कि कंपनी के दो टॉयलेट क्लीनर में हाइड्रोक्लोरिक एसिड नहीं है। जबकि एक अन्य में एसिड की मात्रा महज 3.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि हार्पिक में एसिड की मात्रा 10.5 फीसद है। इस मामले में पतंजलि की ओर से जवाब दाखिल किए जाने के बाद ही आगे की सुनवाई हो सकेगी।