ब्रिटेन: माल्या के वकीलों ने भारत के सबूतों पर उठाए सवाल, ‘गड़बड़ियां’ ऐसी कि कोर्ट में गूंज उठे ठहाके
भगोड़े शराब करोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण का मामला अभी तक अटका हुआ है। ब्रिटिश कोर्ट ने क्रिसमस और नए साल की लंबी छुट्टियों के बाद गुरुवार (11 जनवरी) से इस मामले पर सुनवाई शुरू कर दी है। विजय माल्या वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में पत्नी पिंकी ललवानी और बेटे सिद्धार्थ के साथ पेश हुए थे। सुनवाई के दौरान भारत ने कोर्ट में सबूत के तौर पर दस्तावेज पेश किए। इसके बाद कोर्ट ने माल्या की जमानत अवधि 2 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी। बहस के दौरान माल्या की वकील ने भारत की ओर से पेश किए साक्ष्यों पर सवाल उठाए। उन्होंने कुछ ऐसी गड़बड़ियों का उल्लेख किया, जिससे कोर्ट रूम में ठहाके गूंज उठे। लेकिन, यह भारतीय प्रतिनिधिमंडल के लिए असहज करने वाला था।
माल्या की ओर से पेश क्लेयर मोंटगोमरी ने कोर्ट में प्रत्यर्पण पर जिरह की थी। उन्होंने ब्रिटिश कोर्ट में इसकी स्वीकार्यता को भी संदेह के घेरे में ला दिया। उन्होंने खासकर गवाहों द्वारा पेश किए गए बयानों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए। मोंटगोमरी ने माल्या के खिलाफ दिए गए बयानों और टिप्पणियों से जुड़े दस्तावेज कोर्ट के समक्ष पेश किया और कहा कि भारत सरकार ने इसे इकट्ठा कर बतौर साक्ष्य प्रस्तुत कर दिया है। उनके अनुसार, ब्रिटिश कानून के मुताबिक इसे न तो विश्वसनीय माना जा सकता है और न ही अदालत में स्वीकार किया जा सकता है। मोंटगोमरी ने कहा, ‘भारत सरकार द्वारा पेश दस्तावेज निराधार और अफवाहों पर आधारित हैं।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि इन दस्तावेजों की आईडीबीआई केस में कोई प्रासंगिकता नहीं है। माल्या की वकील ने कोर्ट को बताया, ‘पेश किए गए कुछ बयानों के न केवल शब्द एक समान हैं बल्कि टाइपो (लेखन) भी एक है। उदाहरण के तौर पर विभिन्न व्यक्तियों द्वारा दी गई गवाही में इसी तरह की विसंगतियां हैं।’ उनकी इस दलील पर कोर्ट रूम में ठहाके गूंज उठे थे। ब्रिटिश प्रत्यर्पण कानून की धारा 84 के तहत किसी भी व्यक्ति को दूसरे देश को प्रत्यर्पित करने के लिए बेहद सख्त प्रावधान किए गए हैं।
मोंटगोमरी ने जज एम्मा अर्बुथनॉट से दस्तावेजों का उचित तरीके से अध्ययन करने की अपील की थी, ताकि भारत द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों की स्वीकार्यता को परखा जा सके। मालूम हो कि विजय माल्या पर भारतीय बैंकों का हजारों करोड़ रुपये लेकर भागने का आरोप लगाया गया है। भरतीय अदालतें माल्या को भगोड़ा घोषित कर चुकी हैं। कोर्ट में पेश होने के आदेश के बावजूद माल्या भारत नहीं आया। अब उनके प्रत्यर्पण को लेकर ब्रिटिश अदालत में सुनवाई चल रही है।