बड़ी कामयाबी

भारत की नुमाइंदगी के लिए न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी का हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में एक बार फिर पहुंचना एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। उससे भी बड़ी बात यह कि यह ब्रिटेन जैसे एक सशक्त देश के लिए बड़ी हार है। इसका अहसास दुनिया के उन सर्वाधिक ताकतवर देशों को भी हो चुका है, जो सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में वीटो के अधिकार से लैस हैं। इस मामले में ब्रिटेन को कैसा झटका लगा है, इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि पूरे मीडिया और संसद में ब्रिटिश सरकार की आलोचना हो रही है। यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने के बाद इसे दूसरे बड़े झटके के रूप में भी देखा जा रहा है। भारत के लिए यह बड़ी कामयाबी इसलिए भी है कि दुनिया में आज भी विकासशील देश के रूप में पहचान के बावजूद उसने ब्रिटेन को एक ऐसे वैश्विक मंच पर पटखनी दी, जिसमें हमेशा से उसकी तूती बोलती आई थी। 1946 के बाद यह पहला मौका है जब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के पंद्रह जजों में ब्रिटेन का कोई जज नहीं है।

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