बड़े नेताओं का मुकदमा लड़कर राज्यसभा पहुंच गए ये नामी वकील: मंत्री ने ली चुटकी- वकील रिटायर नहीं होता
पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में हंगामा हो रहा है लेकिन मंगलवार (27 मार्च) को संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा में माहौल भावुक था क्योंकि उस दिन करीब 50 सांसद रिटायर हो रहे थे। सदन उन्हें विदाई दे रहा था। इसी दौरान केंद्र सरकार के एक भाजपाई मंत्री ने सदन में चुटकी ली कि अधिकांश प्रोफेशन से जुड़े लोग, जिनमें फुल टाइम पॉलिटिशियन भी शामिल हैं, एक समय के बाद रिटायर हो जाते हैं लेकिन वकील इसके अपवाद हैं। शायद केंद्रीय मंत्री का इशारा कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की तरफ था जो आश्चर्यजनक तरीके से फिर से राज्यसभा पहुंचने में कामयाब रहे थे। सिंघवी इस बार तृणमूल कांग्रेस की मदद से पश्चिम बंगाल से राज्य सभा के लिए चुने गए हैं। शारदा घोटाले में कोर्ट में पैरवी करने वालों में अभिषेक मनु सिंघवी भी एक वकील हैं और यही भूमिका उन्हें फिर से संसद पहुंचाने में सहायक रही।
पहले भी कई वकीलों को इसलिए राज्य सभा सदस्यता मिली क्योंकि वो कई बड़े नेताओं की बड़े मुकदमे में पैरवी करते रहे हैं। वयोवृद्ध वकील और राज्यसभा सांसद राम जेठमलानी और कपिल सिब्बल इसके सबसे बेहतर उहदाहरण हैं। लालू यादव के सहयोग से कपिल सिब्बल साल 1998 में बिहार से राज्य सभा सांसद चुने गए थे। साल 2010 में राम जेठमलानी बीजेपी की तरफ से राजस्थान से राज्यसभा पहुंचने में कामयाब रहे थे। हालांकि, तब प्रदेश भाजपा के अंदर जेठमलानी को सांसद बनाने पर काफी बवाल हुआ था लेकिन उन्हें लाल कृष्ण आडवाणी और नरेंद्र मोदी का साथ प्राप्त था क्योंकि इन दोनों के मुकदमे जेठमलानी ही लड़ रहे थे। बाद में जेठमलानी के रिश्ते भाजपा नेताओं से अच्छे नहीं रहे और उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया गया।