बढ़ती ठंड और सड़क पर भर्ती मरीज
वायु प्रदूषण पर चल रही लगातार बहसों के बीच राजधानी में देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा केंद्र एम्स के बाहर फुटपाथ पर पड़े सैकड़ों मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। प्रधानमंत्री के स्वच्छता योजना को धत्ता बताते हुए एम्स के दोनों ओर की मुख्य सड़क पेशाब की बदबू से भरी हुई है। कहने को यहां दोनों ओर शौचालय बने हुए हैं पर एम्स मेन गेट के बाहर फुटपाथ पर पड़े मरीजों के लिए उन शौचालयों का इस्तेमाल करना असंभव हो जाता है। मरीज बताते हैं कि अपने सामानों के साथ इधर उधर शौचालय ढूढ़ने जाना संभव नहीं होता। कहीं आसपास ही जुगाड़ देखना होता है। क्योंकि बाहर खुले में पड़े उनके सामान कोई भी लेकर चंपत हो सकता है।
उन्नाव से अपने पैर का इलाज कराने आई रेनू ने कहा कि उनको 15 दिन हो गए हैं। कई तरह की जांच हो रही है। बीमारी का कुछ पता नहीं चल पाया है। बार-बार आना-जाना नहीं कर सकते। एक बार आने में ही 2400 रुपए खर्च हो गए। हर दिन का खाने-पीने का ही सौ दो सौ का खर्च है। वह भी बड़ी मुश्किल से पूरा कर रहे हैं। ऐसे में रुकने का ठिकाना कहां। किराए का कमरे लेगें तो हजार रुपए रोज का है। वह कहां से देगें। फिर होटल मे खाओ तो और महंगा। किसी तरह समय काट रहे हैं। यहीं फुटपाथ पर खाना यहीं सो जाना। उन्होंने बताया कि कि उनका इलाज यहां के सर्जरी विभाग में होना है। एम्स में कैंसर का इलाज करा रही महिला मरीज के तीमारदान रघु ने बताया कि वह यहां छह महीने से इलाज करा रहे हैं। बिजनौर से आए हैं।
किसी तरह से लोगों के कपड़े सिल कर गुजारा करने वाली इस मरीज के तामीरदार ने बताया कि अभी तक उनका कीमो थेरेपी चल रहा था। अब वे रेडियो थेरेपी करा रहे हैं। उसके लिए भी बार बार आना-जाना संभव नहीं। मरीज सलोनी (बदला नाम) ने बताया कि एम्स के धर्मशाला के लिए कोशिश की थी कि किसी तरह वहीं ठौर मिल जाए लेकिन वह पूरा ही मरीजों से भरा पड़ा है। जगह नहीं मिल सकी। अब इलाज तो कराना ही है। इसलिए यहीं रात गुजारते हैं। वह जहां लेटी थी उस फुटपाथ से हजारों लोगों की रोज की आवाजाही होती है। वही सैकड़ों लोग दिन में बसे पकड़ते हैं। अब भी रात को धूल उडाÞते बसों व दूसरे वाहनों का रेला भी गुजर रहा है। डॉक्टर कहते हैं कि कीमों वाले मरीज को साफ सफाई का बेहद ख्याल रखना होता है। यहां तक कि उनका इलाज कर रहे डाक्टरों ने भी नसीहत दी है कि सब कुछ उबाल कर ही खाना। साफ पानी पीना। वरना इंफेक्शन हो जाएगा। यहीं पर बच्चे के पैर में लगी पट्टी ठीक करते हुए इसे किसी तरह सुलाने की कोशिश करती उनकी मां ने बताया कि पैर का आपरेश हुआ था।