भागलपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की राह में कई अड़चनें
भागलपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए पौने दो साल बाद भी कई अड़चने हैं। टेंडर में आॅडिट आपत्ति है। मुख्य वित्त अधिकारी की अब तक बहाली नहीं हुई है। स्मार्ट कंपनी का खाता नहीं खुला है। ठोस कचरा प्रबंधन व दूसरी योजनाओं पर खर्च का आकलन नहीं हो पाया है। किसी योजना में अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल नहीं किया जा सका है। कई दिक्कतों पर गुरुवार शाम तक चली स्मार्ट सिटी निदेशक मंडल की बैठक में काफी माथापच्ची होती रही। लेकिन कुछ खास तय नहीं हो सका, जबकि बीते चार महीने में गुरुवार को हुई यह छठी बैठक थी।
भागलपुर स्मार्ट सिटी निदेशक मंडल के अध्यक्ष प्रमंडल आयुक्त हैं। कायदे से ऐसी बैठकों में केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय और बिहार राज्य के नगर विकास महकमा के अधिकारी बतौर प्रतिनिधि भी शरीक होने हैं। मगर ये गैर-हाजिर रहे। बैठक की अध्यक्षता आयुक्त राजेश कुमार ने की। भागलपुर के जिलाधीश आदेश तितमारे, एसएसपी मनोज कुमार, नगर निगम के नगर आयुक्त श्याम कुमार मीणा, महापौर सीमा साह, सूचना जनसंपर्क उपनिदेशक बिंदुसार मंडल बगैरह बैठक में मौजूद थे।
तीन महीने पहले ही बिहार के नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा भागलपुर के दौरे पर आए थे। उन्होंने भी कहा था कि भागलपुर में स्मार्ट सिटी का काम काफी धीमा है, जबकि केंद सरकार ने पौने दो साल पहले यानी अप्रैल 2016 में ही भागलपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है। गुरुवार को हुई बैठक में भी उन्हीं मुद्दों पर बातें होती रहीं, जो मुद्दे पहली बैठक के थे। किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका। बैठक के कागजों का अध्ययन करने वाले एक अधिकारी के मुताबिक अब तक एक करोड़ 41 लाख रुपए इस मद में आए हैं। जिनमें से लाखों रुपए साइन बोर्ड, ग्लोसाइन बोर्ड, एक चौराहे पर स्वचालित ट्रैफिक सिग्नल जैसे फिलहाल गैर-जरूरी कामों पर खर्च किया गया है। भागलपुर का ट्रैफिक सिस्टम एकदम चौपट है। जाम की परेशानी से लोग तबाह हैं।
यातायात समस्या से निजात के वास्ते 19 से 22 फरवरी को मध्य प्रदेश के भोपाल में एक सेमिनार हो रहा है। इसमें देश के बड़े शहरों के यातायात नियंत्रण के माहिर गुर सिखाएंगे और ट्रैफिक कंट्रोल के तरीके बताएंगे। इस सेमिनार में एसपी व डीएसपी स्तर के अधिकारी को शरीक होने को कहा गया है। पुलिस महानिदेशक ने आइजी प्रशिक्षण के मार्फत भागलपुर के आइजी व डीआइजी को इस बाबत पत्र भेज कर सेमिनार में हिस्सा लेने को सक्षम अधिकारी को भेजने का अनुरोध किया है। इसमें बिहार के पांच शहर शामिल किए गए हैं। जिनमें पटना, गया, भागलपुर, मोतिहारी और मुजफ्फरपुर हैं।