भाजपा के आंतरिक सर्वे में आधे से ज्यादा सांसदों के खिलाफ आई रिपोर्ट!

2019 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने अपने सांसदों से रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने पेश करने तो कहा ही है, खुद पार्टी भी आंतरिक सर्वे करवा रही है। इसके जरिये भाजपा अपने सांसदों की लोकप्रियता, पिछले पांच सालों में उनके कामकाज का आकलन कर रही है। लेकिन पार्टी आलाकमान के लिए चिंता की बात ये है कि बीजेपी के आधे से ज्यादा सांसदों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। 2014 में बीजेपी ने जिन 282 सीटों पर जीत हासिल की थी उसमें से 152 संसदीय क्षेत्र से आई रिपोर्ट सांसदों के खिलाफ है। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये सर्वे गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले करवाया गया था।

पहले सर्वे से चिंतित बीजेपी अब सर्वे के दूसरे चरण पर काम कर रही है। इसके तहत जिन सीटों पर जनता अपने जनप्रतिनिधियों से नाराज हैं, वहां पर उस एमपी को अपनी स्थिति सुधारने को कहा गया है। साथ ही पार्टी पदाधिकारियों से वैकल्पिक कैंडिडेट के नाम भी मंगाए गये हैं। बीजेपी दिल्ली के नगर निगम चुनावों में भी सीटिंग पार्षदों की जगह फ्रेश चेहरों को उतारकर एंटी इंकंबेंसी फैक्टर को मात दे चुकी है। यहीं नहीं कई राज्यों की विधानसभा में भी पार्टी इस फॉर्मूले को अपना चुकी है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सांसदों के प्रति लोगों की नाराजगी ज्यादा है। उत्तर प्रदेश में इस वक्त बीजेपी के 71 सांसद हैं, इनमें 48 सीटों पर रिपोर्ट सांसदों के खिलाफ है।

बात मध्य प्रदेश की करें तो तो यहां पर 16 एमपी के खिलाफ रिपोर्ट निगेटिव है। राजस्थान और महाराष्ट्र में लोग अपने सांसदों के काम से खुश नहीं है। राजस्थान में 13 सीटों पर रिपोर्ट निगेटिव है, तो महाराष्ट्र में 17 सीटें नाराजगी वाली हैं। बिहार में भी 12 सांसदों के कामकाज से लोग खुश नहीं हैं। हरियाणा में स्थिति और भी खराब है। यहां पर बीजेपी के 7 सांसद है, लेकिन सभी आतंरिक सर्वे में सभी सातों सांसदों के खिलाफ रिपोर्ट निगेटिव है। रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी हाईकमान और संघ भाजपा में तीसरी पीढ़ी के नेताओं को उभारने पर बल दे रही है। मध्य प्रदेश के उज्जैन में संघ प्रमुख मोहन भागवत और सरकार्यवाह भैयाजी जोशी के साथ अमित शाह की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी।

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