भारतीय टीम का वो कप्तान, जिसे खेल नहीं बल्कि रुतबे की वजह से मिली थी टीम इंडिया की कमान

भारतीय क्रिकेट के शुरुआत दौर में राजा-महाराजाओं और नवाबों को भी टीम में जगह मिली। इनमें से कुछ को खेल नहीं बल्कि उनके रुतबे के चलते ये मौका मिला। ऐसे ही खिलाड़ी थे भारतीय टीम के दूसरे कप्तान विजयनगरम के महाराज कुमार, जिन्हें विज्जी नाम से भी जाना जाता था। 28 दिसंबर 1965 को वाराणसी में जन्मे महाराज कुमार (विज्जी) ने अपने करियर में सिर्फ 3 मैच खेले, जिसकी 6 पारियों में उन्होंने मात्र 33 रन बनाए। इस दौरान उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा नाबाद 19 रन।

वहीं अगर विज्जी का 47 प्रथम श्रेणी मैचों में प्रदर्शन देखा जाए तो उन्होंने 73 पारियों में 18.60 की औसत से 1228 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने गेंदबाजी में भी हाथ आजमाया और 4 विकेट भी चटकाए। जाहिर है कि प्रदर्शन इतना खासा नहीं था मगर रुतबा काफी अधिक, जिसके चलते कप्तानी भी उन्हें सौंपी गई।

विजयनगरम के इस महाराजा ने 27 जून 1936 को इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला और वही सीरीज इनकी अंतिम टेस्ट सीरीज भी साबित हुई। विज्जी क्रिकेट से संन्यास के बाद बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर भी रहे। आखिरकार 2 दिसंबर 1965 को महज 59 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया।

जब लाला अमरनाथ से हुआ झगड़ा : 1936 में इंग्लैंड दौरे के वक्त लाला अमरनाथ ने विज्जी को चिल्लाकर सस्ते में आउट होने को लेकर कुछ कहा। इसे विज्जी ने अपने अपमान के रूप में लिया और अमरनाथ को पहले टेस्ट के बाद ही भारत वापस भेज दिया गया। इन दोनों खिलाड़ियों के बीच ताउम्र इतनी तनातनी रही कि दोनों ने फिर कभी एक-दूसरे से मुलाकात तक नहीं की।

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