भारत आधिकारिक तौर पर बना चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था, जापान की इकोनॉमी को पीछे छोड़ा

भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. भारत ने इकोनॉमी में जापान को पीछे छोड़ दिया है. अब भारत से आगे सिर्फ तीन देश अमेरिका, चीन और जर्मनी है. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से यह जानकारी साझा की है.
रेखा गुप्ता ने आईएमएफ की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट का हवाला दिया और एक ग्राफिक्स साझा किया है, जिसके मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था 4.187 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है. वहीं इसने 4.186 ट्रिलियन डॉलर वाली जापान की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया है.
हर भारतीय के लिए गर्व का दिन: गुप्ता
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने एक्स पोस्ट में इसे हर भारतीय के लिए गर्व का दिन बताया है. साथ ही कहा, “IMF की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब आधिकारिक तौर पर जापान को पीछे छोड़कर 4.187 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. यह ऐतिहासिक उपलब्धि महज आंकड़ों से परे है. यह वह रास्ता है जिस पर हम माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विजन के तहत साथ-साथ चले हैं. उनके साहसिक फैसले, दृढ़ संकल्प और 140 करोड़ भारतीयों की क्षमताओं में विश्वास ने इस बदलाव को प्रेरित किया है.”
अब भारत से आगे सिर्फ तीन देश
भारत से आगे जो तीन देश हैं, उनमें 30.57 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ अमेरिका है. वहीं दूसरे स्थान पर 19.231 ट्रिलियन डॉलर के साथ चीन तो तीसरे स्थान पर 4.744 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ जर्मनी का नंंबर आता है.
दुनिया की टॉप 10 इकोनॉमी में छठे नंबर पर ब्रिटेन, सातवें नंबर पर फ्रांस, आठवें स्थान पर इटली, नवें स्थान पर कनाडा और दसवें स्थान पर ब्राजील है.
2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी
आईएमएफ ने अनुमान जताया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है और इस दौरान जीडीपी का आकार 5,069.47 अरब डॉलर रहने का अनुमान जताया गया है. वहीं, 2028 तक भारत की जीडीपी का आकार 5,584.476 अरब डॉलर होने का भी अनुमान है.
6.2% जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान
आईएमएफ का अनुमान है कि 2025 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.2% रह सकती है. वहीं IMF का अनुमान है कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका और चीन आगामी करीब एक दशक तक अपनी रैंकिंग को बरकरार रख सकते हैं.