भारत और अमेरिका की 2+2 वार्ता आज से

भारत और अमेरिका छह सितंबर को अपने सबसे अहम दोतरफा शिखर सम्मेलन की शुरुआत करने जा रहे हैं। अमेरिकी विदेश सचिव माइक पोंपिओ और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस अपने भारतीय समकक्षों विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ अपने पहले 2+2 वार्ता में हिस्सा लेंगे। यह वार्ता दोनों देशों के बीच उच्च स्तर का भरोसा कायम करने के लिए है। इसमें बारी-बारी से दोनों देशों में वार्ता होगी। दोनों देशों के बीच कारोबारी, हिंद व प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की सुरक्षा, सामरिक व रणनीतिक सहयोग और ईरान व रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों से प्रभावित हो रहे भारतीय हितों को लेकर बातचीत होगी। 2+2 संवाद ऐसे वक्त में हो रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में अनिश्चितता पैदा कर दी है। अमेरिकी प्रतिबंध कानून सीएएटीएसए (प्रतिबंधों के जरिए अमेरिका के विरोधियों का मुकाबला करने का कानून) के कारण ईरान से कच्चे तेल का भारत को निर्यात प्रभावित होने लगा है। दूसरी ओर, रूस के साथ बाकी एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीद के सौदे में भी अड़ंगा लग रहा है।

नई दिल्ली में हो रहे 2+2 वार्ता में अमेरिका के नए एक कानून के जरिए रास्ता निकलेगा। अमेरिकी कांग्रेस ने पिछले महीने नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (एनडीएए) का बदला हुआ संस्करण पारित किया, जो अमेरिकी राष्ट्रपति को भारत को प्रतिबंधों से छूट देने का अधिकार देता है। इसकी बदौलत भारत रूस से एस-400 लंबी दूरी की पांच वायु रक्षा मिसाइलें खरीदने के लिए 5 अरब डॉलर के सौदे पर दस्तखत कर सकेगा। साथ ही, ईरान से 10 अरब डॉलर के तेल सौदे पर छूट भी मिल सकेगी। यह कानून नहीं बनाया जाता तो भारत के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध लगा दिए जाते। हालांकि, इसके तहत सशर्त छूट मिलेगी। इसमें अमेरिका के आगे यह प्रमाणित करना होगा कि भारत, रूस के हथियारों पर निर्भरता से अपने को अलग करने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। इन दो अहम मुद्दों के अलावा 2+2 वार्ता में अमेरिका का एच-1बी वीजा, इस्पात और एल्यूमिनियम के अमेरिकी आयात पर शुल्क, अमेरिका से मिसाइलों, ड्रोन और हेलिकॉप्टरों के रक्षा सौदों पर बातचीत होगी।

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