भारत कभी इस करमापा को मानता था चीनी जासूस, अब उन्‍हीं के स्‍वागत के लिए तैयार मोदी सरकार

तिब्बती धर्मगुरु 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे नवंबर में भारत लौटने वाले हैं। 33 वर्षीय करमापा पिछले एक साल से मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए यूएस में हैं। एक इंटरव्यू में उग्येन त्रिनले दोरजे ने इस बात की जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने इस बात का भी खंडन किया कि वे भारत से पलायन कर यूएस बसने की योजना में हैं। उन्होंने तिब्बतियन मीडिया को दिए इंटरव्यू में स्पष्ट कर दिया कि किसी अन्य देश में शरण लेने की उनकी कोई योजना नहीं है।

करमापा दोरजे इस साल नवंबर में हिमाचल के धर्मशाला स्थित अपने मठ में लौटेंगे। बता दें कि दोरजे 1 साल से भी ज्यादा वक्त से अमेरिका में हैं। उन्होंने तीन बार अपना वीजा बढ़वाया था, जिसके बाद यह कहा जाने लगा था कि करमापा अमेरिका में बसने की योजना में हैं, लेकिन अब करमापा ने खुद मीडिया को दिए इंटरव्यू में सब स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने तिब्बतन सर्विस ऑफ रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘इस साल नवंबर में, धर्मशाला में प्रमुख तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों की मीटिंग होने जा रही है। इसलिए मुझे उसमें शामिल होना ही है।’

सरकार के तिब्बती मामलों के सलाहकार अमिताभ माथुर ने बताया कि करमापा ने हमेशा ही दलाई लामा को बड़ों की तरह सम्मान दिया है। इसके साथ ही माथुर ने सरकार और करमापा के बीच मनमुटाव होने की रिपोर्ट्स का भी खंडन किया। उन्होंने कहा कि करमापा पूरे देश में बिना किसी रोकटोक के यात्रा कर सकते हैं, यहां तक कि सिक्किम में भी और विदेशों में भी।

कभी कहलाए थे चीनी जासूस
भारत सरकार पहले करमापा को चीनी जासूस समझती थी। 14 साल की उम्र में यानी जनवरी 2000 में करमापा नेपाल होते हुए भारत के मैकलॉडगंज आ पहुंचे थे, जिसके बाद भारत में करमापा को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे। कई लोगों ने यह सोचा था कि करमापा चीन की मदद से भारत पहुंचे थे, जिसके बाद करमापा को चीनी जासूस भी कहा गया। बहरहाल अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार करमापा के स्वागत की तैयारियां कर रही है। सरकार करमापा को दिल्ली के द्वारका इलाके में जमीन भी मुहैया कराने वाली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक करमापा दिल्ली में अपना हेडक्वार्टर बना सके, इसके लिए सरकार इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास उन्हें पांच एकड़ जमीन भी मुहैया कराएगी।

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