भारत रत्‍न: अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद को नामित करने से किया था इंकार, बीजेपी नेताओं ने दिया था सुझाव

भारतीय राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। देश की प्रत्‍येक पार्टी में उन्‍हें बराबर का सम्‍मान दिया जाता है। यह उस समय की बात है जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। भजापा नेताओं ने कारगिल युद्ध के बाद उन्‍हें सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भारत रत्‍न के लिए खुद का नाम प्रस्‍तावित करने का सुझाव दिया था। लेकिन, उन्‍होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया था। नरेंद्र मोदी की सरकार ने वर्ष 2014 में उन्‍हें भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया था।

वाजपेयी सरकार में मीडिया सलाहकार रहे वरिष्‍ठ पत्रकार अशोक टंडन ने इसके बारे में जानकारी दी थी। उन्‍होंने बताया था कि कारगिल युद्ध के बाद भाजपा नेता वाजपेयी को भारत रत्‍न देकर उन्‍हें सम्‍मानित करने के पक्ष में थे। उनका मानना था कि 1998 में परमाणु परीक्षण और उसके बाद 1999 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद अटल बिहारी वाजपेयी देशभर में बेहद लोकप्रिय थे। टंडन ने बताया कि भाजपा नेताओं ने इसके लिए वाजपेयी को मनाने की भी कोशिश की थी। उनके समक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का उदाहरण भी पेश किया गया था। दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों ने पद पर रहते हुए भारत रत्‍न के लिए अपना नाम प्रस्‍तावित किया था। हालांकि, वाजपेयी ने इस दलील को मानने से इंकार कर दिया था। उन्‍होंने कहा था कि सम्‍मान के लिए खुद का नाम प्रस्‍तावित करना उचित नहीं होगा।

वाजपेयी के न मानने पर भाजपा नेताओं ने नई योजना बनाई थी। अशोक टंडन के मुताबिक, भाजपा नेता वाजपेयी के विदेश यात्रा पर जाने के बाद उनका नाम भारत रत्‍न के लिए प्रस्‍तावित करने की योजना बनाई थी। हालांकि, वाजपेयी को इसका आभास हो गया था और उन्‍होंने ऐसा करने से मना कर दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। सफल और बेदाग राजनीतिक करयिर को देखते हुए वाजपेयी का हर पार्टी में सम्‍मान किया जाता है।

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