भ्रष्टाचार पर बहस में शिवसेना का सवाल- पीएम की रैलियों के लिए कहां से आता है पैसा
केंद्र और महाराष्ट्र सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भ्रष्टाचार के सवाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला है। पूछा कि चुनावी रैली के लिए पैसा कहां से आता है? साथ ही यह भी पूछा कि क्या सत्ताधारी दल पैसे की बदौलत चुनाव जीत रही है। भ्रष्टाचार पर रोक (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि चुनाव के समय प्रधानमंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और एक सांसद की तरह प्रचार करना चाहिए ताकि पता चले कि चुनाव जीतने के लिए क्या करना होता है। इसके साथ ही सावंत ने दूसरे पार्टियों से निष्काषित लोगों को भाजपा में शामिल करने, रिलायंस जिओ के विज्ञापन में पीएम मोदी के तस्वीर के उपयोग और प्रस्तावित जिओ इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दिए जाने पर भी खिंचाई की। आखिरकार विधेयक को लोकसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
चर्चा के दौरान शिवसेना सांसद ने कहा कि यदि वे सच में भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ना चाहते हैं तो सत्ताधारी दल को दिल से बोलना चाहिए और बताना चाहिए कि वे चुनाव कैसे लड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री किसी एक पार्टी से संबंधित नहीं होते बल्कि वे पूरे देश के होते हैं। जब प्रधानमंत्री किसी रैली को संबोधित करने जाते हैं, तो उसका खर्च कौन उठाता है? क्या यह पार्टी द्वारा उठाया जाता है या सरकारी फंड से होता है? नोटबंदी के मुद्दे पर सावंत ने कहा कि ऐसा विश्वास किया गया था कि इससे से कालाधन, भ्रष्टाचार और आतंक पर लगाम लगेगी। क्या इनमें से कोई भी लक्ष्य पूरा हुआ? क्या आतंकी घटनाओं में कमी आयी? यदि ऐसा हुआ तो फिर करीब 600 लोग और हमारे जवान कैसे मरे? हम इस मामले में पूरी तरह फेल हो गए। मैं जुमला नहीं चाहता, लेकिन प्रधानमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहिए। तब उन्हें पता चलेगा कि पैसा कहां से आता है। सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर बहस न करने के आरोप पर उन्होंने कहा कि आप सभी भ्रष्टाचारी लोगों को अपने साथ शामिल कर रहे हैं। वे आपके साथ आने के बाद वाल्मिकी बन जाते हैं! आप उन्हें जेल भेजने की धमकी देते हैं। लेकिन जब वे आपके साथ आ जाते हैं तो पाकसाफ हो जाते हैं।
इससे पहले, लोकसभा में पारित होने के लिए विधेयक को स्थानांतरित करते हुए प्रधान मंत्री कार्यालय के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रस्तावित कानून सरकार की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ाने और कानून के तहत प्रावधानों को कड़े बनाने के लिए है। यह सरकार का भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टाॅलरेंस नीति को दर्शाता है। बहस के दौरान, कांग्रेस के केएच मुनियप्पा ने कहा कि सिस्टम में भ्रष्टाचार की जांच के लिए चुनावी सुधारों की आवश्यकता है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यदि वास्तविकता में सरकार भ्रष्टाचार से लड़ती है तो विपक्ष इसका समर्थन करेगा। चौधरी ने कहा कि आपके शासन काल में भारत, जो संतों की भूमि के रूप में जाना जाता था, घोटालों की भूमि में बदल गया है। विजय माल्या, निरव मोदी सहित कई अन्य लोग बैंक के पैसे लेकर देश से भाग गए।