मंत्रिमंडल का फैसलाः मुख्यमंत्री करेंगे सारे तबादले और नियुक्तियां

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर दिल्ली मंत्रिमंडल ने आइएएस अफसरों से लेकर तमाम अन्य अफसरों व कर्मचारियों के तबादलों और नियुक्तियों का अधिकार मुख्यमंत्री व उनके मंत्रियों को सौंपने का फैसला किया है। इसके तहत आला अधिकारियों के फैसले मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री करेंगे जबकि बाकी तबादले अन्य मंत्रियों की इजाजत से किए जाएंगे। मंत्रिमंडल ने इस संबंध में उपराज्यपाल और मुख्य सचिव को हासिल अधिकार वापस लेने का फैसला भी किया। इसके अलावा घर-घर राशन पहुंचाने की योजना को शीघ्र शुरू करने और राजधानी में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्णय को भी तुरंत अमलीजामा पहनाए जाने के आदेश भी अफसरों को दिए गए।

अदालत के निर्णय के आलोक में बुधवार शाम दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई में दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इसमें फैसला किया गया कि दिल्ली सरकार में कार्यरत आला अधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारियों के फैसले अब मुख्यमंत्री और उनके मंत्री करेंगे। इस संबंध में उपराज्यपाल व मुख्य सचिव को हासिल अधिकार को वापस लेने का निर्णय किया गया। इसके अलावा घर-घर राशन पहुंचाने और सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना पर जल्दी काम करने का निर्णय भी लिया गया। दिल्ली सरकार के सेवाएं विभाग के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक आदेश भी निकाला जिसमें बताया गया कि आइएएस, दानिक्स, ऑल इंडिया सर्विसेज अफसर सहित अन्य आला अधिकारियों के तबादले मुख्यमंत्री करेंगे जबकि दास ग्रेड-1, ग्रेड-2, प्रमुख निजी सचिव, निजी सचिव आदि के तबादले उपमुख्यमंत्री करेंगे। इसके अलावा दास ग्रेड-3, ग्रेड-4 और स्टेनो के तबादले सेवाएं विभाग के प्रभारी मंत्री करेंगे जबकि बाकी कर्मचारियों के तबादले संबंधित विभाग के मंत्री करेंगे।

मंत्रिमंडल में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को कानून मंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक में रखा। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद उपराज्यपाल ने सरकार से तबादले का अधिकार ले लिया था या मुख्य सचिव व विभगाध्यक्षों को सौंप दिया था। उसे वापस दिल्ली सरकार को सौंप दिया गया है। उन्होंने कहा कि आदालत के निर्णय के अनुसार भूमि, पुलिस और जनआदेश को छोड़कर बाकी सभी विषयों में सरकार को कानून बनाने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को स्थानांतरित विषयों पर कानून बनाने के लिए अब उपराज्यपाल के आदेश की जरूरत नहीं पड़ेगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अब उपराज्यपाल को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का हक नहीं।

उन्हें केवल दिल्ली मंत्रिमंडल की सिफारिश पर काम करने को कहा गया है। उपराज्यपाल संविधान की धज्जियां उड़ा रहे थे। उन्हें दिल्ली की जनता से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत ने ये साफ कहा है कि उपराज्यपाल अब हर काम में ‘टांग नहीं अड़ाएंगे’। उन्होंने कहा कि दो साल से दिल्ली की जनता को परेशान किया जा रहा था। अब दिल्ली सरकार निर्णय लेगी और उपराज्यपाल को बस इत्तला दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को लेकर अभी फैसला नहीं आया है।

तबादलों पर सरकार और नौकरशाही में घमासान के आसार

दिल्ली में शासन के अधिकार को लेकर उपराज्यपाल और दिल्ली की सरकार के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद अब अफसरों के तबादलों को लेकर सरकार और सूबे की नौकरशाही में टकराव के आसार हैं। अदालती आदेश का हवाला देकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अफसरों की नियुक्ति व तबादलों का अधिकार उपराज्यपाल, मुख्य सचिव और अन्य विभागाध्यक्षों से वापस लेने का आदेश जारी कर दिया हो लेकिन इस आदेश पर अमल होना अभी बाकी है। दिल्ली मंत्रिमंडल की बुधवार को बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने बताया कि अदालत ने यह साफ कर दिया है कि भूमि, पुलिस और पब्लिक आर्डर सरीखे तीन मामलों को छोड़कर बाकी तमाम मामले चुनी हुई सरकार के तहत होंगे।

उन्होंने कहा कि इस आधार पर सेवा विभाग भी सरकार के पास आ गया है और अब वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति के फैसले मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के मंत्री ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि इसी आधार पर उन्होंने इस आशय का आदेश भी जारी कर दिया है। दूसरी ओर ऐसी सूचना है कि सरकार के सेवाएं विभाग ने सिसोदिया के उस आदेश से संबंधित अधिसूचना अभी नहीं निकाली है जिसमें मुख्यमंत्री व मंत्रियों को अफसरों के तबादलों के लिए अधिकृत करने की बात कही गई है। जाहिर तौर पर यह अधिसूचना जारी होने तक माना जा रहा है कि इस मामले को लेकर एक नया टकराव सामने आ सकता है।

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