मंत्रिमंडल विस्तार में उपेक्षित महसूस कर रहा जदयू

मंत्रिमंडल विस्तार में न तो भाजपा को जनता दल (एकी) का सुझाव पसंद आया और न ही जद (एकी) को भाजपा का। खींचतान के बीच अपना राजनीतिक समीकरण सधता देख भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हक्का-बक्का करते हुए उनका दबाव मानने से इनकार कर दिया। इससे खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है जनता दल (एकी) नेतृत्व। जनता दल (एकी) नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण में भी शामिल नहीं हुआ। आधिकारिक तौर पर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पार्टी नेतृत्व ने कोई टिप्पणी नहीं की है। उसने चुप्पी साध रखी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने ‘जनसत्ता’ से कहा, ‘यह भाजपा का अंदरूनी फेरबदल और मंत्रिमंडल विस्तार था। इसमें गठबंधन के सहयोगियों को नहीं बुलाया गया।’ जद (एकी) के साथ भाजपा की जो बात चल रही थी, उसमें घटक दलों को लेकर कोई मान्य फार्मूला नहीं बन सका। उनके अनुसार, ‘राजग के घटक दलों को किस आधार पर सीटें आवंटित की जाएं, इसको लेकर कोई सर्वमान्य फार्मूला नहीं बन सका।’

कैबिनेट विस्तार के मद्देनजर बिहार के राजनीतिक समीकरण हावी रहे। नीतीश कुमार राज्यसभा में अपनी पार्टी के संख्याबल के भरोसे दबाव बनाते रहे। एक कैबिनेट स्तर का और एक राज्यमंत्री का पद की मांग पर अड़े रहे। रेलवे या उस जैसा महत्वपूर्ण विभाग मांगते रहे। तीनों ही मांगें भाजपा के फार्मूले में फिट नहीं हो रही थी। क्योंकि, नीतीश कुमार की मांगें मानते तो घटक दल शिवसेना की मांग मानने का दबाव बढ़ता, जो अरसे से कैबिनेट में एक और सीट मांग रही है। शिवसेना के सवाल को लेकर जद (एकी) नेता ने कहा, ‘वे महाराष्ट्र में सहयोगी हैं। हमें बिहार का हित देखना है।’ इस खींचतान के बीच भाजपा को अपना समीकरण साधनामुफीद लगा। बिहार में महागठबंधन के जमाने में सुशील मोदी (नीतीश कैबिनेट में उप मुख्यमंत्री), नंदकिशोर यादव (बिहार के पथ निर्माण मंत्री) और अश्विनी चौबे (अब केंद्रीय मंत्री) अपने-अपने स्तर पर नीतीश कुमार की तत्कालीन सरकार पर घेरेबंदी करते रहे। जाति के आधार पर वोट बैंक में सेंधमारी करते रहे। जहां तक भाजपा की अंदरूनी राजनीति का सवाल है, तीनों को राज्य में तीन ध्रुव माना जाता है। सुशील मोदी बिहार में उपमुख्यमंत्री हैं। अश्विनी चौबे और यादव अपनी-अपनी जमीनी पकड़ का बूता दिखाते रहे हैं। मोदी की पार्टी में पकड़ है। चौबे की पकड़ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में मानी जाती है। यादव को लालू यादव के वोट बैंक में सेंध की जिम्मेदारी दी गई है।

मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान तीनों को पार्टी नेतृत्व ने थपकी दी। बची-खुची कसर आरा के सांसद राज कुमार सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाकर पूरी की गई। चौबे को अपने राज्य में सुशील कुमार मोदी जैसे बड़े छत्रपों से अच्छा तालमेल नहीं होने के लिए जाना जाता है। बिहार में भाजपा अगड़ों के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय में पैठ बढ़ा रही है। राजपूत वर्ग से आने के साथ ही अच्छे प्रशासनिक रेकॉर्ड और ईमानदार छवि वाले राज कुमार सिंह पर मोदी ने विश्वास जताया है, जहां इसी राज्य से दूसरे राजपूता नेता राजीव प्रताप रूड़ी को मंत्री पद से हटाया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *